
बिलासपुर में अब खुले में मवेशी छोड़ने वालों की खैर नहीं। कलेक्टर और एसपी की सख्ती के बाद अधिकारियों की बैठक में तय हुआ कि हादसे की स्थिति में पशु मालिक भी सह आरोपी बनेगा और जुर्माना भी लगेगा। बिलासपुर में सड़क पर घूमते आवारा पशुओं की वजह से हो रही दुर्घटनाओं को देखते हुए अब प्रशासन सख्त हो गया है। कलेक्टर संजय अग्रवाल और एसपी रजनेश सिंह ने सोमवार को अधिकारियों की बैठक लेकर आवारा पशु प्रबंधन पर कड़ा रुख अपनाने के निर्देश दिए।कलेक्टर ने कहा कि बरसात के मौसम में मवेशियों के सड़क पर बैठने से हादसे की आशंका और बढ़ जाती है।

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी विभाग मिलकर काम करें। वहीं एसपी ने स्पष्ट किया कि यदि किसी मवेशी की वजह से दुर्घटना होती है, तो पशु मालिक को भी सह आरोपी बनाया जाएगा।अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि शहर में उन स्थानों को चिह्नित किया जाए, जहां मवेशी ज्यादा संख्या में देखे जाते हैं। इन क्षेत्रों में लगातार निगरानी और गश्त के लिए टीमें तैनात होंगी। मवेशी मालिकों को चिन्हित कर समझाइश दी जाएगी कि वे अपने पशु खुला न छोड़ें।बिलासपुर शहर में करीब 4 हजार आवारा मवेशी खुले में विचरण करते पाए गए हैं। ऐसे मवेशियों के लिए शहर और आसपास के क्षेत्रों में आधा दर्जन से अधिक पशु आश्रय स्थल बनाए जाएंगे, जहां उन्हें रखा जाएगा।मोपका, कोनी, गोकुलधाम, रहँगी, धौराभांठा, पाराघाट और काटाकोनी जैसे क्षेत्रों में आश्रय स्थल विकसित करने की योजना है।

इसके लिए डीएमएफ से शेड निर्माण, पानी और अन्य सुविधाओं के लिए बजट आवंटित किया जाएगा। आश्रय स्थलों में रहने वाले मवेशियों के चारे की व्यवस्था पशु कल्याण समिति द्वारा की जाएगी। इसके अलावा दानदाताओं से सहयोग की भी अपील की गई है ताकि पशुओं की देखभाल में कोई कमी न हो।कलेक्टर ने निर्देशित किया कि सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करना एनएचएआई की जिम्मेदारी है।सड़कों के किनारे पशुओं को रखने के लिए भूमि आरक्षित की जाएगी। बैठक में नगर निगम आयुक्त अमित कुमार, जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल समेत जिले के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।