हाईकोर्ट ने रेलवे को कड़ी फटकार लगाकर फुट ब्रिज का काम जल्द से जल्द पूरा करने निर्देशित किया गया था।
कोर्ट के फटकार के बाद आखिरकार रेलवे ने गजरा चौक और रेलवे पार साईं मन्दिर क्षेत्र को जोड़ने वाले फुट ओवर ब्रिज को शुरू कर दिया है। ब्रिज के शुरू होने का पैदल चलने वालों को लंबे समय से इन्तेजार था। ब्रिज के शुरू होते ही लोगों ने राहत की सांस ली है।साईं मन्दिर रेलवे अंग्रेजी माध्यम स्कूल से पैदल रेलवे स्टेशन पार गजरा चौक तक आने वाले लोगों के लिए 8 साल बाद फुट ओवर ब्रिज की शुरुआत रेलवे ने कर दी है। लोगों को इस ब्रिज की जानकारी मिल सके इसलिए रेलवे ने इसकी सूचना भी यहां बकायदा चस्पा किया है।

ब्रिज के बनने के बाद अब लोग बिना किसी परेशानी के स्टेशन के एक छोर से दूसरे छोर तक आना जाना कर सकते हैं। एफओबी के नहीं होने पर अपना समय बचाने स्टेशन के एक छोर से दूसरे छोर जाने के लिए लोग प्लेटफार्म से होकर गुजरते थे। कभी वे आरपीएफ के हत्थे चढ़ जाते तो कभी टीटी इन्हें पकड़ कर लम्बा चौड़ा जुर्माना कर देते थे। धीरे धीरे फूट ओवर ब्रिज के आभाव में पैदल आने जाने वाले समय बचाने पटरी पार कर एक छोर से दूसरे छोर तक आने जाने लगे। कुछ वर्ष पहले गजरा चौक से स्टेशन पार आने जाने के लिए एक एफओबी हुआ करता था जो रखरखाव के अभाव में जर्जर होकर बीच से अपने आप ढह गया था।

इसके बाद रेलवे ने बजट आने के बाद दूसरे एफओबी का निर्माण करना तो शुरू किया लेकिन तकरीबन 70 प्रतिशत काम कर बन्द कर दिया गया। इसी के अभाव में लोग समय बचाने खुद के जान को जोखिम में डालकर कभी पटरी पार करते तो कभी मालगाड़ियों के बीच से होकर गुजरते थे। वहीं इसकी खबरें भी न्यूज़ चैनलों और दैनिक अखबारों ने प्रमुखता से प्रसारित किया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने रेलवे को कड़ी फटकार लगाकर फुट ब्रिज का काम जल्द से जल्द पूरा करने निर्देशित किया गया था।जिसके बाद ही आनन फानन में रेलवे ने काम पूरा किया और एफओबी की शुरुआत की।बताया जा रहा है कि एफओबी की पूरी लम्बाई 209 मीटर और इसकी चौड़ाई 2.5 मीटर है। हमारे कैमरे में कैद इस तस्वीर को आप खुद देख सकते है कि किस तरह हंसी खुशी लोग अपना सफर आसानी से इस फुट ओवर ब्रिज के जरिये तय कर रहे है।

गौरतलब है कि इस ब्रिज पर आवाजाही शुरू होने का सबसे ज्यादा इंतजार रेलवे स्टेशन के उस पार रहने वाले रेलकर्मी, स्कूली बच्चे और अन्य लोगों को था। उन्हें स्टेशन के इस तरफ आने में दिक्कत होती थी। पहले उन्हें तारबाहर या चुचुहियापारा अंडरब्रिज और चुचुहियापारा ओवरब्रिज से घूमकर जाना पड़ रहा था। कई बार तो बच्चे इस समस्या से बचने के लिए अंडरब्रिज या ओवरब्रिज का उपयोग न कर पटरी से आवाजाही करते थे। जिसके चलते हर समय उन पर खतरा रहता था। इसके साथ ही आमजनता को इस ब्रिज की सुविधा समर्पित करने के साथ ही रेल प्रशासन ने एक और बेहतर काम किया है। दोनों तरफ की सीढ़ियों में जल बचाओं, जीवन बचाओं, जल बचत है एक लाभ है अनेक जैसे कई संदेश भी लिखे हैं। सीढ़ियों की डिजाइन इस तरह है कि संदेश बड़े आसानी से लोगों को नजर आ रहे हैं।
