
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आदिवासी समुदाय द्वारा एक बार फिर विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया गया है। संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में स्थानीय ग्रामीणों ने बिना सहमति के किए जा रहे रेलवे लाइन सर्वे और भारत माला रोड निर्माण कार्य के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है।ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा उनकी सहमति के बिना जबरन जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है और कई आदिवासी परिवारों के घरों को तोड़ दिया गया है। इसके एवज में उचित मुआवज़ा अब तक नहीं दिया गया है। वहीं दूसरी ओर, ग्रामीणों का कहना है कि सर्वे कार्य का विरोध करने पर तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है। साथ ही, ग्रामीण नेता रूपनारायण एक्का, सुनील खलखो समेत सात लोगों के खिलाफ झूठे एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है। इससे आदिवासी समाज में गहरा असंतोष है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि रेलवे लाइन और भारत माला रोड का कार्य तत्काल प्रभाव से नहीं रोका गया तो वे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे। आज दिनांक 3 मई को यह ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम स्पष्ट घोषणा की गई है कि यदि आदिवासियों की ज़मीन और अधिकारों की रक्षा नहीं की गई तो बड़ा जन आंदोलन होगा। इसी के साथ ही आदिवासी समाज ने 10 मई को बी.टी.आई चौक से अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय पत्थलगांव पर रैली प्रदर्शन मोर्चा तथा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपने की घोषणा की है।