
सामाजिक सौहार्द्र के लिए जाने जाने वाले छत्तीसगढ़ में भी इन दोनों सांप्रदायिक रंग दिखाई पड़ने लगे हैं… इसकी शुरुआत कई माह पहले कवर्धा और साजा क्षेत्र में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हुए खूनी संघर्ष से हो चुकी है… छत्तीसगढ़ का सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान भी अब इससे अछूता नहीं रहा… बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में हिंदू छात्रों से जबरदस्ती नमाज पढ़वाने का मामला इन दिनों गरमाया हुआ है… पूरे मामले में छात्रों का आरोप है… कि 26 मार्च से 1 अप्रैल तक आयोजित एनएसएस के कैंप में… 30 मार्च को ईद के दिन हिंदू छात्रों से दबाव बनाकर जबरदस्ती नमाज पढ़वाई गई… हैरान कर देने वाली बात है कि इस कैंप में 159 छात्र शामिल हुए थे जिनमें से केवल 4 छात्र ही मुस्लिम समुदाय के थे… शेष 155 छात्र हिंदू धर्म को मानने वाले थे… एक और हैरान करने वाली बात ये भी है… किस कैंप में शामिल एनएसएस कोऑर्डिनेटर और कोई भी प्रोग्राम ऑफिसर भी मुस्लिम समाज से नहीं आते… ऐसे में जो दबाव बनाकर नमाज पढ़ाने की जो बात सामने आई है… आई है वह बेहद गंभीर है… गरमाए मामले के बीच बुधवार को शिविर में शामिल छात्रों ने एबीवीपी और हिंदू संगठनों के साथ कुलपति कार्यालय का घेराव किया… लंबे आंदोलन के बाद कुलपति ने 48 घंटे के अंदर जांच पूरी करने की घोषणा भी की… जिसके बाद आज मामले की जांच शुरू हो चुकी है… लेकिन अब इस जांच प्रक्रिया पर भी सवाल या निशान लगने लगे हैं… जांच में शामिल छात्र इसे स्क्रिप्टेड इन्वेस्टिगेशन करार दे रहे हैं… छात्रों का आरोप है कि इंडिविजुअल चर्चा के स्थान पर सभी छात्रों से सामूहिक रूप से चर्चा की गई… और पहले से तय बिंदुओं पर भी सवाल किए गए… इसके साथ ही छात्रों ने पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित किए जाने की आशंका भी जाहिर की है…

छात्रों ने बताया कि जब पूछताछ के लिए उन्हें बुलाया गया… तब वहां उनसे एक फॉर्म भरवारा गया… जिसमें पहले से कुछ सवाल लिखे हुए थे… और इसके बाद रैंडम तरीके से किसी से भी सवाल पूछा गया है… जिससे जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं… विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि इस आप पर कुछ भी कह पाना उचित नहीं है जब जांच पूरी होगी तब ही दोषी तय पर कार्रवाई की जाएगी… दूसरी और विश्वविद्यालय प्रबंधन ने मामले को गरमाता देख एनएसएस कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप झा और अन्य 12 विभागों के प्रोग्राम ऑफिसर को भार मुक्त कर दिया है… हालांकि प्रबंधन का कहना है… कि इस कार्रवाई का विवाद से कोई लेना-देना नहीं है…

इस मामले के गरमाने की शुरुआत छात्रों के थाने में शिकायत के बात हुई थी… पुलिस ने इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय प्रबंधन से जवाब मांगा था… और अब जांच रिपोर्ट का इंतजार पुलिस भी कर रही है… लेकिन अब जांच पर लग रहे सवालिया निशान ने जांच रिपोर्ट को भी शक के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है…