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Saturday, August 9, 2025
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नवजात की दुर्लभ बीमारी की सफल सर्जरी, श्री शिशु भवन में दी गई नई जिंदगी

गर्भधारण कर एक नए जीवन को जन्म देना हमेशा से ही चुनौती पूर्ण कार्य है। इसके लिए कई तैयारियां आवश्यक है। कई बार वंशानुगत कारण, स्थानीय प्रभाव और माता के कुपोषण के कारण बच्चों में जन्मजात विकृतियां उत्पन्न होती है। ऐसा ही कुछ हुआ लोरमी के फुलवारी कला में रहने वाले कृषक जयसवाल बाधरे और उनकी पत्नी स्वाती बाधरे के तीसरे पुत्र के जन्म के बाद। बिलासपुर माया दुबे के यहां प्रसव के बाद पता चला कि नवजात बच्चे में जन्मजात विकृति है। बच्चे के पीठ के पास एक गांठ नजर आया। चिकित्सकों के निर्देश के बाद माता-पिता नवाजत को लेकर मध्य नगरी स्थित बच्चों के खास अस्पताल श्री शिशु भवन पहुंचे, जहां जांच के बाद पता चला कि बच्चे को एक दुर्लभ और जटिल बीमारी है, जिसमें बच्चे के रीढ़ के पास एक गांठ बन जाता है, जिसे (मिनिंगोमाइलोसेल) कहते हैं। संभवत यह माता में गर्भधारण के दौरान पोषक तत्वों की कमी के चलते होता है।

यह तो भला हुआ कि समय रहते नवजात के माता-पिता उसे लेकर श्री शिशु भवन पहुंच गए थे, जहां चिकित्सक दल ले बच्चे की सफल सर्जरी कर उसे नई जिंदगी दी। अब बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है। इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री शिशु भवन के डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने बताया कि इन परिस्थितियों से बचाव के लिए माता को गर्भधारण से पहले ही नियमित रूप से फोलिक एसिड और जिंक का सेवन करना चाहिए। साथ ही गर्भधारण के दौरान सोनोग्राफी और अन्य जांच से भी इन परिस्थितियों से समय रहते बचाव संभव है।

बच्चे का आगमन परिवार के लिए खुशियों का कारण होता है। जयसवाल बाधरे और स्वाति बाधरे के लिए भी घर में तीसरे बेटे के रूप में खुशी आई लेकिन वह खुशी क्षणिक साबित हुई। जब उन्हें पता चला कि बच्चे को जटिल बीमारी है तो माता-पिता के चेहरे पर चिंता की लकीर आ गई लेकिन अब उनके चेहरे पर सुकून है, क्योंकि श्री शिशु भवन में उनके बच्चे का सफल इलाज हुआ और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है ।

नवजात के सफल इलाज के बाद इस शनिवार को उसे छुट्टी दे दी गई। बच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने कहा कि एक हजार बच्चों में से किसी एक को इस तरह की दुर्लभ जन्मजात बीमारी होती है। वंशानुगत कारणों के अलावा इसमें माता में पोषक तत्व, विटामिन की कमी प्रमुख वजह है, जिससे समय रहते बचाव करना ही इसका निदान है । साथ ही उन्होंने कहा कि फिर भी अगर किसी बच्चे को इस तरह की जटिल समस्या होती है तो श्री शिशु भवन में उनका सफल इलाज संभव है ।

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