
कोनी स्थित मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के प्रभारी डॉ. बी.पी. सिंह ने कहा है कि उनके खिलाफ 2019 से चल रही शिकायतों की पूरी पटकथा एक सोची-समझी साजिश है। ट्रांसफर के बाद से लगातार उनके खिलाफ आरोप गढ़े जा रहे हैं।डॉ. सिंह ने बताया कि उन्होंने शिकायतकर्ताओं को तुरंत कानूनी नोटिस भेजा, जिसके बाद कुछ ने माफी मांगते हुए पत्र लिखे। मंत्रालय से मिली आरटीआई जानकारी में भी साफ हुआ कि शिकायतें निराधार थीं।

इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने डॉ. के.के. साहरे की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर दी, जिसमें डॉ. आरती पांडे और डॉ. रविकांत दास को भी शामिल किया गया। डॉ. सिंह ने दावा किया कि ये सभी सदस्य उनके खिलाफ पहले से ही पूर्वाग्रह से ग्रसित थे।डॉ. सिंह ने बताया कि समिति गठन के समय वे स्टे लेकर जगदलपुर में पदस्थ हो चुके थे। उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष और सदस्यों पर खुद गंभीर आरोप और मुकदमे चल रहे हैं, ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना बेमानी है।

राज्य शासन से मिले नोटिस के जवाब में उन्होंने पूरी जानकारी साक्ष्य के साथ दी। आरटीआई के माध्यम से भी स्पष्ट हुआ कि उनके खिलाफ किसी विभाग में कोई शिकायत लंबित नहीं थी। फिर भी कुछ अधिकारी निजी द्वेष से कार्रवाई की कोशिशें करते रहे।डॉ. सिंह ने पूर्व स्वास्थ्य संचालक विष्णुदत्त पर भी हमला बोला और कहा कि वे खुद भ्रष्टाचार के मामलों में निलंबित हो चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विष्णुदत्त ने अपने चहेतों को जांच समिति में शामिल कर फर्जी जांच करवाई।अंत में डॉ. सिंह ने शक्ति बघेल समेत षड्यंत्रकर्ताओं के खिलाफ अब तक कार्रवाई न होने पर सवाल उठाया और कहा कि उन्होंने मानहानि का केस दायर किया है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और न्याय की प्रक्रिया पारदर्शी रहे।

डॉ. बी.पी. सिंह ने साफ किया कि ये लड़ाई अब सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि सच और झूठ के बीच की है। उन्होंने कहा कि जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा, वे पीछे नहीं हटेंगे। साजिशकर्ताओं को बेनकाब करना अब उनका मिशन बन चुका है। अब निगाहें प्रशासन और न्यायपालिका की कार्रवाई पर टिकी हैं।