
फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम मामले की जांच एक बार फिर सवालों के घेरे में है। स्वास्थ्य विभाग की गठित तीन सदस्यीय टीम ने अपोलो के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट की जांच पूरी कर रिपोर्ट CMHO को सौंप दी है। रिपोर्ट में टीम ने स्पष्ट अभिमत नहीं दिया है। ऐसे में इलाज का तरीका सही है या गलत जांच में स्पष्ट नहीं है। इधर इलाज प्रक्रिया की सीडी भी अपोलो ने जांच टीम को उपलब्ध नहीं कराई है। लिहाजा फर्जी डॉक्टर के जांच पर एकबार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, अपोलो हॉस्पिटल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम के कारगुज़ारियों के सामने आने के बाद इसके जांच के निर्देश दिए गए थे। इसी कड़ी में वर्ष 2006 में छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के इलाज का दस्तावेजी रिपोर्ट अपोलो प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को सौंपा था। इसकी जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी। जांच के दौरान टीम ने अपोलो प्रबंधन से आरोपी डॉक्टर द्वारा किए गए एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी की सीडी मांगी थी। इसके लिए CMHO ने नोटिस जारी कर अपोलो प्रबंधन को इलाज का सीडी डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराने का कहा था। हालांकि, जवाब में पुराना मामला होने के कारण अपोलो ने इलाज के दौरान की सीडी उपलब्ध होने से इंकार कर दिया। जिसके बाद जांच टीम ने अन्य उपलब्ध दस्तावेजी प्रमाणों की जांच की और रिपोर्ट CMHO को सौंपा। रिपोर्ट में जांच टीम का अभिमत अपष्ट है। टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि, दस्तावेज के तहत इलाज सही हुआ है। लेकिन उन्हें इलाज प्रक्रिया की सीडी उपलब्ध नहीं कराई गई है। लिहाजा प्रायोगिक तरीके से जांच नहीं हो सकी है। ऐसे में स्पष्ट अभिमत के साथ यह नहीं कहा जा सकता है कि, जांच सही हुई है या गलत। अब जांच रिपोर्ट को पुलिस और कलेक्टर को भेजा जा रहा है। लेकिन अधूरे अभिमत के साथ सामने आए जांच रिपोर्ट से फर्जी डॉक्टर केस की जांच पर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। गौरतलब है कि, फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ सरकंडा थाने में अलग-अलग धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है। रिमांड पर लेकर आरोपी फर्जी डॉक्टर से पूछताछ भी की जा चुकी है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस जांच को आगे बढ़ाएगी।