
बिलासपुर में पिछले पांच दिनों से जारी मूसलधार बारिश ने हाहाकार मचा दिया है। शहर से लेकर गांव तक हालात बेकाबू हो चुके हैं। घर ढह रहे हैं, सड़कें बह रही हैं और पेड़ गिरने से रास्ते बंद हो चुके हैं। बिलासपुर जिले में बीते 24 घंटे में 160.2 मिमी बारिश दर्ज की गई है। लगातार पांच दिनों से झड़ी के चलते पूरा शहर जलमग्न हो गया है। घरों में पानी भर गया है और मोहल्ले तालाब बन चुके हैं। लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं, लेकिन प्रशासन की तैयारी नाकाफी साबित हो रही है।नदी-नालों और नहरों में उफान है। बिलासपुर-पेंड्रारोड, तखतपुर, रतनपुर और कोटा जैसे संपर्क मार्ग कट गए हैं। तेज बहाव में अब तक कई छोटी-बड़ी गाड़ियां बह चुकी हैं। ग्रामीण इलाकों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है और कई जगह हालात बाढ़ जैसे हो चुके हैं।कोटा क्षेत्र के बड़े बरर गांव में चार से पांच कच्चे मकान तेज बारिश में ढह गए हैं।

रामप्रसाद, यति बाई और हीरालाल जैसे ग्रामीण अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। न तो रहने का ठिकाना बचा है, न खाना पकाने की जगह। अब तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची है।बारिश की मार लाल खदान से मस्तूरी जाने वाले मार्ग पर भी दिखी। सोमवार को एक विशालकाय पेड़ धराशायी हो गया जिससे सड़क पर घंटों जाम लगा रहा। राहत एवं बचाव दल ने पहुंचकर पेड़ की कटिंग कर रास्ता साफ किया, जिसके बाद यातायात शुरू हो सका।मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।

बिलासपुर, कोरबा, मुंगेली और जांजगीर-चांपा में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाओं, आकाशीय बिजली और मध्यम वर्षा की चेतावनी दी गई है। लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों में रहने की सलाह दी गई है।तो फिलहाल बारिश थमने का नाम नहीं ले रही और संकट गहराता जा रहा है। सवाल ये है कि जब पहले से अलर्ट था, तो प्रशासन ने क्या तैयारी की थी? और अब जब घर ढह रहे हैं, रास्ते बंद हो रहे हैं तो राहत कब पहुंचेगी।