भाई दूज दिवाली का पूरा हफ्ता त्योहारों में बीतता है. धनतेरस से शुरू हुए त्योहार भाई दूज के साथ खत्म होते हैं. हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है.
भाई दूज ऐसा पर्व है जिसमें बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उसे सूखा नारियल देती हैं. यह दिन भाई और बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और इससे यमराज और मां यमुना की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. । लिहाजा आज भी भाई दूज के इस पर्व को लोग खुशी और उमंग के साथ दीपावली के तीसरे दिन मनाते हैं हालांकि इस बार तिथियां के फेर में भाई दूज का त्योहार मंगलवार की बजाय बुधवार को मनाया गया जहां बहनों ने अपनी भाई को भाई दूज का रक्षा सूत्र बनते हुए उनके मंगल की कामना की इस अवसर पर जगह-जगह भाई दूज के मौके पर भाई भी बहन के घर पहुंचने नजर आए और उनके लिए मंगल कामना की उपहार के साथ उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी पुरातन काल से चली आ रही इस परंपरा का भी आज भी पूरी निष्ठा के साथ संपन्न किया जाता है जहां प्रतिवर्ष इसी तरह से भाई बहन एक दूसरे दीपावली के बाद हर वर्ष इसी तरह से भाई अपनी बहन की घर पहुंच कर इस पर्व को मानते हैं



