
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही देशभर के रेलवे स्टेशनों को अपग्रेड करने की दिशा में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत लोकार्पण किया, लेकिन उसी रात रेलवे ने अचानक डेढ़ दर्जन से अधिक ट्रेनों को रद्द कर दिया। इससे यात्रियों में हड़कंप मच गया और रेलवे की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर मंडल में टीआरटी मशीन से अधोसंरचना कार्य और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रायपुर मंडल में गर्डर डी-लांचिंग कार्य के नाम पर मई-जून में लंबी अवधि के लिए ब्लॉक लिया गया है। इसका सीधा असर ट्रेन संचालन पर पड़ा है।टाटानगर इतवारी, टाटानगर बिलासपुर, बिलासपुर-टाटानगर, रायपुर-जूनागढ़ रोड, बिलासपुर-रायपुर व कोरबा पैसेंजर जैसी कई ट्रेनें रद्द की गई हैं।ट्रेनों के अचानक रद्द होने से ना सिर्फ यात्रियों की योजना ध्वस्त हुई, बल्कि स्टेशन और ट्रेनों में अव्यवस्था फैल गई। गर्मी की छुट्टियों में पहले से टिकट लेकर यात्रा की तैयारी कर रहे यात्री रास्ते में फंस गए और रेलवे से उन्हें कोई वैकल्पिक सहयोग नहीं मिला।इस पूरे मामले पर जब केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू से बात की गई तो उन्होंने एक संतुलित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि रेलवे में अधोसंरचना सुधार जरूरी है और इसके लिए कुछ समय के लिए असुविधा हो सकती है। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि रेलवे यात्रियों को कम से कम तकलीफ हो, इसका प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर सांसद ज्योत्स्ना महंत ने रेलवे की लचर कार्यशैली पर खुलकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री स्टेशनों का लोकार्पण कर रहे हैं और दूसरी तरफ रेलवे बिना किसी योजना के ट्रेनों को रद्द कर देता है। यह पूरी तरह अव्यवस्थित निर्णय है।महंत ने कहा कि रेलवे को यात्रियों की असुविधा पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन जल्द से जल्द इस व्यवस्था को दुरुस्त करे और ऐसी स्थितियों से बचने के लिए वैकल्पिक उपायों की योजना बनाए।सांसद ने आरोप लगाया कि रेलवे यात्रियों के साथ “ट्रायल एंड एरर” कर रहा है। बिना कोई एडवांस सूचना, हेल्पलाइन व्यवस्था या स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था के ट्रेनों को रद्द करना जनता के साथ अन्याय है। देश का रेलवे आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रहा है, लेकिन यात्री सुविधाएं अगर इस विकास की बलि चढ़ें तो सवाल उठेंगे ही। जहां एक ओर मंत्री तोखन साहू सुधार की उम्मीद दिखा रहे हैं, वहीं सांसद ज्योत्स्ना महंत ने रेलवे की आंखें खोल दी हैं। अब देखना ये है कि क्या रेलवे सच में सुनता है, या यात्रियों को इसी तरह की असुविधा झेलनी पड़ेगी।