
बिलासपुर स्थित दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जोनल मुख्यालय में सांसदों और रेलवे अफसरों के बीच अहम बैठक हुई। बैठक में रेलवे की कार्यशैली को लेकर सांसदों ने जमकर नाराजगी जताई और अफसरों से दो टूक जवाब मांगा। इस डीआरयूसीसी बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय राज्य मंत्री और बिलासपुर सांसद तोखन साहू ने की। बैठक में कोरबा सांसद ज्योत्स्ना महंत, जांजगीर-चांपा सांसद कमलेश जांगड़े, सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज समेत 8 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसदों या उनके प्रतिनिधियों ने शिरकत की।

बैठक में ज़ोनल महाप्रबंधक, अपर जीएम, तीनों मंडल के डीआरएम समेत कई वरिष्ठ रेल अफसर मौजूद थे। सांसदों ने अफसरों से कहा कि वे बार-बार अपने क्षेत्रों की रेल समस्याओं को लेकर प्रस्ताव भेजते हैं, लेकिन रेलवे की ओर से कोई जवाब नहीं आता।केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा छत्तीसगढ़ में इस समय 47 हजार करोड़ की रेलवे परियोजनाएं चल रही हैं। सभी सांसद जनता की आवाज़ हैं। उनकी बातों को गंभीरता से लेना होगा और ज़मीनी स्तर पर असर दिखना चाहिए।केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग स्टेशनों समेत सभी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को तय समय में पूरा किया जाए, ताकि लोकार्पण के साथ जनता को आधुनिक और बेहतर सुविधाएं जल्द मिल सकें।

बैठक में सांसदों ने ट्रेनों के बार-बार रद्द होने, समय पर संचालन न होने, स्टॉपेज हटने और जनरल कोच की कमी जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि इससे आम यात्रियों को भारी परेशानियां उठानी पड़ती हैं और रेलवे सिर्फ योजनाओं तक सीमित रह गया है।ज्योतना मेहनत सहित कई सांसदों ने यह भी कहा कि उनके क्षेत्र में ज़रूरी प्रस्ताव सालों से लंबित हैं और रेल अधिकारी न जवाब देते हैं, न ही समाधान। सांसदों की एक राय थी कि अफसरों को जवाबदेह बनाया जाए ताकि जनता के सवालों के समाधान में तेजी आ सके। बिलासपुर की ये बैठक महज औपचारिक नहीं रही। सांसदों की नाराजगी ने रेलवे को यह संदेश दे दिया है कि अब बिना ज़मीन पर काम किए सिर्फ बैठकों से बात नहीं बनेगी। अब देखना है रेलवे इस नाराजगी को किस तरह व्यवहार में बदलता है।