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Thursday, June 19, 2025
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शुक्रवार को पंजाबी समाज में बैसाखी पर्व को धूमधाम से मनाया .वैशाखी पर्व पंजाबी समाज के लिए नववर्ष माना जाता है लिहाजा यहां सभी गुरुद्वारों में वैशाखी पर्व पर विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया। जहां समूह साध संगत को सबद कीर्तन से निहाल किया गया

शुक्रवार को पंजाबी समाज में बैसाखी पर्व को धूमधाम से मनाया…. वैशाखी पर्व पंजाबी समाज के लिए नववर्ष माना जाता है लिहाजा यहां सभी गुरुद्वारों में वैशाखी पर्व पर विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया। जहां समूह साध संगत को सबद कीर्तन से निहाल किया गया

सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को बैशाखी के दिन ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ का उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करना है। इस वजह से सिखों के लिए बैशाखी का विशेष महत्व होता है। खलसा पंथ की स्थापना श्री केसरगढ़ साहिब आनंदपुर में हुआ था, इसलिए बैशाखी के दिन यहां पर विशेष उत्सव मनाया जाता है।पंजाब और हरियाणा में किसान अपनी फसल काट लेते हैं। फिर बैशाखी के दिन एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। नए कपड़े पहनते हैं और उत्सव मनाते हैं। शाम को आग जलाकर उसके चारो ओर खड़े होते हैं।बैशाखी का पर्व हर वर्ष अप्रैल माह में मनाया जाता है। इसे कृषि पर्व भी कहते हैं क्योंकि पंजाब और हरियाणा में किसान अपने फसलों की कटाई कर लेते हैं और शाम के समय में आग जलाकर उसके चारो ओर एकत्र होते हैं। इसी कड़ी में बिलासपुर में भी बैसाखी का पर्व पंजाबी समाज ने धूमधाम से मनाया इस अवसर पर दयालबंद स्थित गुरु सिंह सभा गुरुद्वारे में सुबह विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया जहां हजूरी रागी जत्थे के द्वारा समूह साध संगत को सब्द कीर्तन सी निहाल किया गया वैशाखी के पर्व पर पंजाबी समाज के द्वारा शरबत का भी वितरण किया गया क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि वैशाखी के पर्व पर शीतलता हर और बरसे यही प्रयास समाज का होता है वैशाखी के इस पावन पर्व पर दयालबंद गुरुद्वारे मे आयोजित कीर्तन दरबार में शहर के प्रतिष्ठित व्यवसाई और समाजसेवी मनजीत सिंह गुंबर भी गुरु का आशीर्वाद लेने पहुंचे जहां उन्होंने गुरु के सामने माथा टेकते हुए उनसे प्रदेश और शहर की खुशहाली की कामना की।

वैशाखी के पावन अवसर पर सबद कीर्तन के साथ गुरु का अटूट लंगर भी बताया गया जहां सभी पंजाबी समाज के सदस्यों ने गुरु का अटूट लंगर भी ग्रहण किया क्योंकि वैशाखी समाज के लिए नववर्ष होता है लिहाजा हर समाज का सदस्य वैशाखी के इस पर्व को खुशियों और उमंग के बीच बनाने का प्रयास करता रहा यही वजह है कि गुरुद्वारे में गुरु का आशीर्वाद लेने बड़ी संख्या में समाज के सदस्य दिन भर गुरुद्वारा पहुंचते रहे…

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