
छत्तीसगढ़ में देवउठनी एकादशी के बाद से ही यदुवंशियों का राउत नाचा शुरू हो जाता है। इसी कड़ी में न्यायधानी के सिरगिट्टी में भी राउत नाचा महोत्सव का आयोजन किया गया। जहा राउत नाचा महोत्सव समिति यादव समाज सिरगिट्टी के द्वारा आयोजित इस महोत्सव में प्रदेश भर से विभिन्न् टोलियों ने शौर्य प्रदर्शन किया। बन्नाक चौक स्थित खेल मैदान में देर रात तक पहुंचे 11 टोलियो ने यदुवंशी तुलसी, कबीर और सूरदास के दोहों में थिरकते रहे। महोत्सव में छोटे बच्चे भी आकर्षक पारंपरिक वेशभूषा में सजे धजे नजर आए। भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीरों के साथ जमकर थिरके।

जहा पहुंचे अतिथियों ने उक्त कार्यक्रम की खूब प्रशंसा की।इस दौरान अमित यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि विगत चार वर्षो से सिरगिट्टी में भी राउत नाचा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था। उस समय कंस के शासनकाल में जनता बहुत परेशान थी। वे कंस से बहुत ज्यादा डरते थे। लेकिन जब भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया तो लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि कंस मारा गया और वह अपने घर में दुबके बैठे थे, तब कृष्ण ने अपने साथियों के साथ मिलकर हाथ में लाठी लेकर पूरे नगर में नृत्य करते हुए लोगों को यह बताया कि उन्होंने कंस का वध कर दिया है।

इस खुशी में वे और उनके साथी नृत्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा की प्राचीन कथाएं तो राउत नाच को लेकर बहुत सारी है। लेकिन आज के समय में राउत नाच महोत्सव एक परंपरा के रूप में भी मनाया जाने लगा है।