सहकारी बैंकों में किसानों को नकद भुगतान न मिलने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। बैंकों में किसानों को घण्टों लाइन में लगवाकर 30 से 35 हजार रुपये की किस्तों में भुगतान किया जा रहा है, जबकि उन्हें पूरा भुगतान एक बार में देने का वादा किया गया था। जिला सहकारी बैंक के सीईओ का कहना है कि फंड की कमी नहीं, बल्कि लूटमार का डर है, इसलिए ऐसा किया जा रहा है। हालांकि, किसानों के खातों में रकम पहुंच चुकी है और वे आरटीजीएस, ऑनलाइन और चेक से भुगतान कर सकते हैं। लेकिन, यह सच है कि 10 से 15 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो मोबाइल का उपयोग नहीं करते और उन्हें इस ऑनलाइन प्रक्रिया से परेशानी हो रही है। ऐसा ही एक मामला बेलतरा शाखा में पहुंचे एक वृद्ध किसान ने अपने धान की बिक्री से एक लाख रुपये निकालने के लिए विड्रॉल फार्म भरा, लेकिन प्रबंधक ने कहा कि नकद कम और भीड़ ज्यादा है, इसलिए उन्हें 30-40 हजार रुपये ही दिए जा रहे हैं। वृद्ध किसान ने जब बेटी की सगाई का हवाला दिया तो प्रबंधक ने कार्ड प्रस्तुत करने की बात कही। बेलतरा शाखा में ही एक अन्य किसान ने घर में तेरहवीं के कार्यक्रम के लिए एक लाख रुपये की मांग की, लेकिन उसे 50 हजार रुपये ही दिए गए और बाकी की रकम अगले दिन निकालने की बात कही गई।सवाल उठता है कि जब फंड की कमी नहीं है और सरकार ने एकमुश्त भुगतान के लिए पोस्टर-बैनर लगाए हैं, तो किसानों को उनके उपज का पूरा भुगतान एकमुश्त क्यों नहीं मिल रहा अगर पैसे उनके खातों में जमा हैं, तो फिर नकद भुगतान में अड़चन क्यों आ रही है।