
देशभर में सोमवार को मनाया जा रहा वट सावित्री व्रत, जिसे सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व का पर्व माना जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और इस बार यह शुभ दिन 26 मई को पड़ा है। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती दिखाई दीं। वट सावित्री व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

इसे कुछ जगहों पर ‘सावित्री अमावस्या’ और ‘वट अमावस्या’ भी कहा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की परिक्रमा कर अपने पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और समृद्धि की कामना करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत देवी सावित्री और उनके पति सत्यवान की अमर प्रेम कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और प्रेम के बल पर यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले लिए थे।

इसी त्याग और निष्ठा के प्रतीक के रूप में यह पर्व आज भी सुहागिनों द्वारा श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं साड़ी, चूड़ी, बिंदी और सिंदूर से सजी-धजी नजर आईं। पूजा के दौरान वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा की जाती है और कथा का श्रवण किया जाता है। इस दौरान महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा लेती हैं।

इस पर्व का सामाजिक पहलू भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महिलाओं को एकजुट होकर अपने परिवार की भलाई और रिश्तों में प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देता है। बिलासपुर में हर क्षेत्र में महिलाएं सज सवर कर वट सावित्री की पूजा करती नजर आई पूजा के उपरांत महिलाएं एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी और मिठाई, फल आदि का आदान-प्रदान कर पर्व की खुशियां साझा की। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और विश्वास की मिसाल भी प्रस्तुत करता है।