
बिलासपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय आईजीकेवी में तकनीकी कर्मचारी संघ के नेतृत्व में कृषि विज्ञान केंद्र केवीके के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने संवैधानिक अधिकारों की बहाली की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कुलपति कार्यालय तक पैदल मार्च किया और कुलपति कक्ष का घेराव कर नारेबाजी की। इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन को सात सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया।

संघ के अध्यक्ष डॉ. पी.के. सांगोड़े ने कहा कि वर्षों से लंबित सेवा शर्तों की समानता, एनपीएस/सीएएस/भत्तों की बहाली तथा सेवानिवृत्ति लाभों की गारंटी को लेकर कई बार ज्ञापन दिए गए हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब सभी कर्मचारी एकजुट होकर आंदोलन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए तैयार हैं। संघ के उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वरी साहू ने कहा कि यह आंदोलन केवल सुविधाओं की मांग नहीं है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों की पुनर्स्थापना की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि केवीके के अधिकारी एवं कर्मचारी विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली का अभिन्न हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ रहा है। डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने विश्वविद्यालय अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि तकनीकी स्टाफ की सेवा-निवृत्ति आयु 65 और गैर-तकनीकी की 62 वर्ष तय है, फिर भी केवीके कर्मचारियों को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त किया जा रहा है, जो न केवल भेदभावपूर्ण, बल्कि गैरकानूनी है।

प्रदर्शन के दौरान डॉ. विजय जैन, डॉ. एस.पी. सिंह, डॉ. खूबिराम साहू समेत अन्य प्रतिनिधियों ने 7 सूत्रीय मांगपत्र पढ़कर सुनाया, जिसमें वेतनमान समता, ओपीएस की बहाली, मेडिकल भत्ता, सीएएस योजना, सेवानिवृत्ति आयु, पेंशन-ग्रेच्युटी और अस्थायी नियुक्तियों पर रोक जैसी मांगें प्रमुख थीं। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि पिछले आठ महीनों से उन्हें वेतन नहीं दिया गया है और हाल ही में जबरन कम वेतन डाल दिया गया, जो नियमों के खिलाफ है। इससे आक्रोशित कर्मचारी भूखे-प्यासे कुलपति कक्ष के सामने घंटों तक बैठे रहे।

प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि जब वे आईजीकेवी के अधीन कार्यरत हैं,तो उन्हें आईसीएआर के तहत क्यों दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कर्मचारियों को गुमराह करने की कोशिश है और इसके जरिए अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।कर्मचारियों ने प्रशासनिक भवन का घेराव करते हुए कंट्रोलर हटाओ आईजीकेवी बचाओ’ के नारे लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कंट्रोलर उमेश अग्रवाल राज्य सरकार के प्रतिनिधि होने के बावजूद केवीके कर्मचारियों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं और जानबूझकर माहौल खराब कर रहे हैं।

इस विरोध प्रदर्शन के बाद कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने आंदोलनकारियों से मीटिंग कर घंटों चर्चा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विश्वविद्यालय द्वारा अगले दिन तक कार्रवाई संबंधित पत्र जारी किया जाएगा। हालांकि, संघ ने स्पष्ट किया कि यदि अगले दिन तक मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए राज्यव्यापी, चरणबद्ध और लोकतांत्रिक तरीके से अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने चेताया कि इस स्थिति से उत्पन्न जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन कि होगी।