पीड़िता कोमलपुरा स्वामी ने बताया कि डाक्टर ने बिना कुछ सोचे समझे पहले तो आक्सीजन मास्क लगाया। फिर आयुष्मान कार्ड से 35 हजार रूपया का इलाज किया। इसके बाद अस्पताल से डिस्चार्ज करने के लिए अलग से रूपया मांगा है। इसके साथ ही डाक्टर हेमांग ने पीडिता को धक्का मारकर बाहर निकालने की बात कही है। शनिवार दोपहर बाद आरबी अस्पताल में महिला मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। पीड़िता के परिजनों ने बताया कि वे चकरभाठा के रहने वाले है। मरीज कोमलपुरा स्वामी को पेट दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल मे भर्ती कराया गया। इसके बाद वह ठीक हुई। इसी दौरान अच्छे से इलाज के लिए डॉक्टर समर्थ शर्मा ने आरबी अस्पताल जाने को कहा। उन्होने बताया कि आरबी अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से इलाज हो जाएगा। अलग से रूपया देने की जरूरत नहीं होगी।जिला अस्पताल में अच्छे से इलाज के बावजूद डाक्टर समर्थ शर्मा के कहने पर ये लोग 2 अप्रैल को कोमल पुरा को लेकर आरबी अस्पताल पहुंचे।

पहली रात तो उन्हें एडमिट नहीं किया गया। दूसरे दिन वार्ड में शिफ्ट कर डॉक्टर हेमांग अग्रवाल के कहने पर जबरदस्ती आक्सीजन मास्क लगाया गया। इस दौरान इन लोगों ने इसका विरोध भी किया। और बताया कि दर्द पेट है। फिलहाल वह ठीक है अस्पताल सिर्फ दिखाने आये है। और डाक्टर हेमांग ने कहा कि इलाज ऐसे ही होता है। और डॉक्टर ने इनसे आयुष्मान कार्ड ले लिया। विऱोध के बावजूद ये लोग सब कुछ सहते रहे। इस दौरान डाक्टर हेमांग अग्रवाल ने कहा कि डरने की जरूरत नहीं है। वह बुर्का पहन कर इलाज करेंगे। इसलिए शर्माना भी नहीं है। पीड़िता ने इसका विरोध किया। और उसने तत्काल डिस्चार्च की मांग की। लगातार मांग के बाद डाक्टर अग्रवाल ने कन्सलटेन्ट फीस मांगा। और कहा कि डाक्टर समर्थ को देना है। पीडित के परिजनों ने बताया कि डाक्टर समर्थ ने फीस नहीं लिए जाने की बात कही है। इतना सुनते ही डॉक्टर अग्रवाल ने अपने नर्स को आदेश दिया कि सभी लोगों को धक्के मारकर बाहर निकालो। जब तक डाक्टर समर्थ की परामर्श फीस नहीं देंगे, डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा।


बहरहाल पीडि़ता के परिजनों ने बताया कि डाक्टर अग्रवाल की नीयत ठीक नहीं है। उन्होने कोमल पुरा को कहा था कि वह पेट का इलाज करेंगे। इस दौरान शर्माने की जरूरत नहीं है। वह इलाज के दौरान बुर्का पहन कर रहेंगे। इसके बाद पीड़ित लोगों ने डिस्चार्ज करने को कहा तो डाक्टर अग्रवाल मारपीट की धमकी देने लगे। फिलहाल इस तरह की घटना शहरी क्षेत्रों के बड़े अस्पतालों के लिए कोई नही बात नही है। बल्कि इस तरह के मामलों की शिकायतों का ढेर सीएमएचओ कार्यालय में पड़ा हुआ है। जिस पर जांच के नाम पर सीएमएचओ दफ्तर के अफसर खानापूर्ति करते है और फिर कुछ दिनों बाद हमेशा की तरह मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।
