राकेश शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, शुरुआत से वे कांग्रेस से जुड़े हैं। ऐसे में उनका नाम भाजपा के साथ जुड़ने की खबर से शहर में चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस के शीर्ष पदाधिकारी भी इसे लेकर उनसे पूछताल करने लगे हैं। हालांकि, जब उन्होंने थाने में इसकी शिकायत की, तब लोगों को पता चला कि किसी ने उनकी छवि खराब करने के उद्देश्य से ऐसी हरकत की है। फिलहाल आरोपियों का पता नहीं चलने पर पीड़ित कांग्रेस नेता कोर्ट तक जाने की बात कह रहे हैं। शिकायत के बाद पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने राकेश शर्मा को मोबाइल थाने में जमा करने कहा हैं, सिविल लाइन थाने में मामले की शिकायत की गई है जिस पर जांच शुरू हो गई है सिविल लाइन टी आई ने कहा मामला को संज्ञान में लिया गया है और उन्हें मोबाइल थाने में जमा करने कहा गया है ताकि मोबाइल के कॉल डिटेल और उसकी टेक्निकल जानकारी ली जा सके। थाना प्रभारी ने बताया जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। इस मामले पर भाजपा पदाधिकारी का कहना है कि भजपा किसी को जबरदस्ती अपना सदस्य नहीं बना रही है। उन्होंने खुद सारी प्रक्रिया की होगी। अब अपनी गलती छिपाने के लिए वो दूसरे पर झूठा आरोप लगा रहे हैं। भाजपा में दो तरीके से सदस्य बनाए जा रहे हैं। पहला मिस कॉल से, जो व्यक्ति स्वयं करके सदस्यता ले रहा और दूसरा हमारे कार्यकर्ता खुद जाकर फार्म भर रहे हैं। दोनों ही तरीकों में बिना ओटीपी डाले कोई भी पार्टी की सदस्यता नहीं ले सकता। भाजपा प्रवक्ता प्रणव शर्मा ने बताया कि भाजपा सदस्यता अभियान चला रही है जिसमें जनता बड़े उत्साह के साथ शामिल हो रही है यह मैदानी कार्य है जिसे कांग्रेस कभी नहीं कर सकती ना ही सोच सकती है इसलिए कांग्रेस भाजपा के कार्यप्रणाली पर आरोप लगा रहे हैं , वहीं जिला कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विजय पांडे ने भी भाजपा पर आरोप लगाया है और कहा है कि भाजपा का कोई सदस्य नहीं बन रहा है इसलिए हर किसी को फर्जी तरीके से सदस्य बनाया जा रहा है। जानकारो का मानना है लगातार लोकसभा विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस सदस्यों में बौखलाहट नजर आ रही है, इसलिए बड़ी संख्या में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं। राकेश शर्मा वाले मामले में सभी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया कि भाजपा की सदस्यता स्वीकार कर लिए होंगे लेकिन जानकारों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व का दबाव पड़ा होगा दिया गया होगा इसलिए भाजपा की सदस्यता वाली बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। अब जांच के बाद ही तय होगा कि गड़बड़ी कहां से हुई है या जानबूझकर मामला उछाला गया हैं।

