कोटा क्षेत्र अंतर्गत हुए दो बच्चों की मौत के मामले में शासन की जांच टीम सच जानने जब घटनास्थल पहुंची तो ग्रामीणों ने सभी को वहां से खदेड़ दिया। ग्रामीणों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से बच्चों की मौत हुई है। अब क्या लेने और करने आये हो। हालांकि इस बीच बीजेपी के महामंत्री और जिला पंचायत अध्यक्ष भी बच्चों और परिवार से मिलने जिला अस्पताल पहुंचे।

29 अगस्त को टीकाकरण से 2 बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना को स्थानीय अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया था। जिसके बाद सरकार ने सच जानने के लिए जांच टीम बनाई है। टीम अब सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। इसमें जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। परिजनों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने दोनों बच्चे की जान ली है। अधिकारियों ने समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। इसके बाद जांच टीम आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची। बच्चों को टीका लगाने वाली टीम से पूछताछ की। सील किए गए वैक्सीन के बारे में जानकारी ली। साथ ही दोनों बच्चों की जहां डिलीवरी हुई थी, वहां पहुंचकर डिलीवरी से संबंधित कागजात लेकर लौट गई। बता दें कि जांच टीम में संयुक्त संचालक बिलासपुर संभाग, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. जेपी आर्या, राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. वीआर भगत, राज्य कार्यक्रम अधिकारी स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल रायपुर डॉ. नियल मजोरकर के साथ ही WHO से डॉ. प्रवीण को टीम में रखा गया है।


गौरतलब है कि शुक्रवार को पटैता के आंगनबाड़ी केंद्र में कुल आठ बच्चों को टीका लगाया गया था। इसमें से दो बच्चों की मौत हो गई और अन्य छह बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। ऐसे में आननफानन में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराकर निगरानी में रखा। वहीं अब बच्चों की हालत ठीक होने लगी है। धीरे-धीरे सभी बच्चे स्वस्थ्य हो रहे हैं।इसी बीच बच्चों का हालचाल जानने एवं उनके परिवार वालों से मिलने के लिए भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री प्रबल प्रताप सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान अपने कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों के साथ जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने परिवार वालों से मिलकर चिकित्सा व्यवस्थाओं की जानकारी लेकर बच्चों की उचित देखरेख करने चिकित्सकों को दिशा निर्देश दिए।

बहरहाल रायपुर से आई जांच टीम के रवाना होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक देर रात को हुई। मामले में आगे क्या करना है, इस पर निर्णय लेने की कोशिश की गई। लेकिन बैठक में यह निर्णय नहीं लिया जा सका कि सील वैक्सीन को जांच के लिए भेजना है या नहीं। कुल मिलाकर खानापूर्ति रवैया अपनाते हुए इसे दबाने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल बीजेपी के नेताओं ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होने और दोषियों पर कार्यवाही होने की बात कही है।


