

बिलासपुर– रिश्तो की डोर का पर्व रक्षाबंधन शनिवार को धूमधाम से देश भर के साथ बिलासपुर में भी मनाया गया इस मौके पर बहनों ने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनसे रक्षा का संकल्प लिया इस मौके पर भाइयों ने उन्हें रक्षा का संकल्प देते हुए उपहार भी प्रदान किया।भाई बहन के अटूट रिश्तों का पर्व रक्षाबंधन का त्यौहार शनिवार को धूमधाम से मनाया गया यह अवसर पर सभी घरों में बहनों ने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनसे रक्षा का संकल्प लिया रक्षाबंधन का इस पर्व का अपना अलग ही महत्व है पुरातन काल से चली आ रही यहां परंपरा आज भी कायम है धार्मिक आस्था वाले भारत देश में त्योहारों को धूमधाम से मनाने की जो परंपरा शुरू हुई थी वह निरंतर जारी है शनिवार सुबह से ही घरों में राखी बांधने का सिलसिला शुरू हो गया था दोपहर 1:30 बजे तक शुभ मुहूर्त में सभी बहनों ने अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधी क्योंकि इस बार रक्षाबंधन में भद्राकाल का साया नहीं था लिहाजा दिनभर शुभ मुहूर्त होने से बहनों ने अपने भाइयों की कलाई में राखियां बांधीभारतीय धर्म-संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बाँधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बाँधती है, जिसे राखी कहते हैं। यह एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी या सलूनो भी कहते हैं।रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत-जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी महँगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबन्धन के दिन बहने भगवान् से अपने भाईयों की उन्नति के लिए प्रार्थना करती हैं। सामान्यतः बहनें ही भाइयों को राखी बाँधती हैं, परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बन्धियों भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है।