
छत्तीसगढ़ की राजनीति में उस समय खलबली मच गई जब बुधवार को कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुण तिवारी को रतनपुर पुलिस ने उनके फार्म हाउस से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी की वजह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर की गई विवादित पोस्ट बताई जा रही है। इस पोस्ट के वायरल होते ही भाजपा समर्थकों ने विरोध जताते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।पुलिस ने अरुण तिवारी को घेराबंदी कर पकड़ने के बाद सिविल लाइन थाना लाया, जहां उनके खिलाफ आईटी एक्ट और भड़काऊ बयानबाज़ी से जुड़ी गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया गया। पुलिस का कहना है कि तिवारी की पोस्ट से साम्प्रदायिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंच सकता था और इससे जनमानस में भ्रम की स्थिति बन रही थी।

मामला संवेदनशील होने के चलते तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।गिरफ्तारी के बाद अरुण तिवारी ने बयान दिया कि वे न तो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और न ही पुलिस से डरते हैं।उन्होंने कहा मैं सच बोलता हूं और डरने की ज़रूरत नहीं समझता।अगर मैं जेल जाऊंगा तो भगत सिंह कहलाऊंगा, गोली मार देंगे तो चंद्रशेखर आज़ाद। जब राहुल गांधी का मज़ाक उड़ाया जा सकता है तो फिर सच लिखने से क्यों डरें।तिवारी ने खुद को विचारों का स्वतंत्र सैनिक बताया।इस पूरे घटनाक्रम से छत्तीसगढ़ की राजनीति में गरमी बढ़ गई है।जहां भाजपा नेताओं ने इस कार्रवाई को उचित ठहराया है, वहीं तिवारी के समर्थक इसे ‘सत्ता का दमन’ बता रहे हैं।पुलिस फिलहाल तिवारी के सोशल मीडिया अकाउंट और मोबाइल की फॉरेंसिक जांच कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह मामला राजनीतिक मोर्चे पर और तेज़ बहस का मुद्दा बन सकता है।