
बिलासपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां करोड़ों के धान घोटाले में बर्खास्त कर्मचारी एक बार फिर सरकारी समिति में सक्रिय नजर आ रहा है। यह मामला बिरकोना सेवा सहकारी समिति से जुड़ा है, जहां करीब 90 लाख रुपए का गबन सामने आया था। इस घोटाले के बाद तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच कर तीन कर्मचारियों को बर्खास्त करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे। जांच में समिति के प्रबंधक देवरी लाल यादव, ऑपरेटर प्रियांशु जायसवाल और खरीदी प्रभारी विनोद यादव की संलिप्तता उजागर हुई थी। आदेश के बाद ये कर्मचारी पद से हटा दिए गए थे, लेकिन अब चौंकाने वाली बात यह है कि बर्खास्त होने के बावजूद विनोद यादव एक बार फिर समिति में खाद वितरण करते हुए देखा गया है। यह प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है।

इस घटनाक्रम से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या पूर्व कलेक्टर के स्पष्ट आदेशों को नजरअंदाज किया जा रहा है और घोटालेबाज कर्मचारियों को अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है? ऐसे मामलों से न केवल सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि लोगों का भरोसा भी डगमगाता है। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है कि गंभीर आर्थिक अपराध में लिप्त आरोपी खुलेआम फिर से समिति में काम कर रहा है और उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे यह साफ नजर आ रहा है कि पूर्व कलेक्टर के निर्देश की अवहेलना की जा रही है। इस मामले पर अब वर्तमान कलेक्टर संजय अग्रवाल ने संज्ञान लिया है और पूरी रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब देखना होगा कि प्रशासन इस बार कागजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी दोषियों के खिलाफ ठोस कदम उठाएगा।