महाराष्ट्र में नव वर्ष संवत्सर को धूमधाम से गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। बिलासपुर और आसपास रहने वाले महाराष्ट्रीयन परिवारों द्वारा भी मंगलवार को यह पर्व पूरे उत्साह और परंपरा के साथ मनाया गया। गुड़ी शब्द का अर्थ विजय पताका होता है जिसे प्रतिपदा को स्थापित किया जाता है। मान्यता है कि इसे मराठी राजा शालिक वाहन ने आरंभ किया था।

इस दिन बिलासपुर में रहने वाले मराठी परिवारों द्वारा घर की सफाई कर द्वार पर रंगोली सजाई गई तो वहीं आम और अशोक के पत्ते से घर में तोरण बांधा गया। घर के छत पर या ऊंचे स्थान पर पूजा पाठ करते हुए लोटा और वस्त्र के साथ गुड़ी पताका सजाया गया। मान्यता है कि यह पर्व मनाने से घर में सुख, समृद्धि आती है और घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।



इस अवसर पर मराठी घरों में विशेष पकवान श्रीखंड, पूरनपोली , खीर आदि बनाकर वितरित किए गए। साथ ही सूर्य देव की आराधना करते हुए सुंदरकांड, राम रक्षा स्त्रोत, देवी भगवती के मंत्रो का जाप किया गया। अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ परिजनों ने नीम की कोपल और गुड़ खाए। मान्यता है कि गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ था। इसे युग आदि भी कहते हैं।
