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Friday, August 8, 2025
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बिलासपुर पदस्थापना घोटाला: रिश्वत की जांच के लिए शिक्षकों से लिखित बयान, गोपनीयता पर सवाल

बिलासपुर संभाग में पदोन्नति के बाद रिश्वत लेकर पदस्थापना के संशोधन आदेश दिए जाने को लेकर हुए तथाकथित घोटाले में सरकार ने जांच शुरू कर दी है। लोक शिक्षण संचालनालय ने इस पूरे मामले की जांच को लेकर अपर संचालक जेपी रथ को जांच अधिकारी बनाकर बिलासपुर भेजा है। 2 दिन से जांच कमेटी जांच के दायरे में शामिल सभी संभाग के शिक्षकों से फार्म भरवा कर रख रही है और जांच के बिंदु पहले से ही चयन कर लिए गए हैं। इस तथाकथित घोटाले की जांच बिंदु में शिक्षकों को संशोधन आदेश में दी गई रिश्वत की जानकारी भी मांगी गई है और उसका प्रूफ भी मांगा जा रहा है। हालांकि शिक्षक इसमें लेनदेन से इनकार कर रहे हैं। इससे साफ स्पष्ट हो जाता है की जांच का दायरा इस पूरे घोटाले में शामिल अधिकारी कर्मचारियों की पकड़ से दूर है।

वही शिक्षकों से फार्म भरवा कर पूछा जा रहा है कि कोई लेनदेन तो नहीं किए हैं शिक्षक फॉर्म भरकर जानकारी विभाग को दे रहे हैं लेकिन दबी जुबान से कह रहे हैं की लेनदेन तो हुआ है लेकिन इसकी जानकारी लिखित में देंगे तो विभाग हम पर भारी पड़ेगा इसलिए लिखित में नहीं दे सकते मौखिक में पूछा जाता तो हम बता देते कि किसी अधिकारी ने कितना पैसा लिया है लेकिन लिखित में ऐसा नहीं कर सकती और उन्होने बताया कि जो जानकारी मांगी जा रही है वह दे रहे हैं।

दरअसल पदोन्नति के बाद 799 शिक्षकों का पदस्थापना आदेश फिर संशोधन को लेकर जेडी कार्यालय में रातों-रात कलम चलाई गई थी। संशोधन के खेल में लाखों का वारा-न्यारा भी हुआ। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। आखिर में राज्य शासन ने बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले को लेकर जेडी स्तर पर किए गए पदोन्नति के बाद पदस्थापना आदेश को रद कर दिया था। इस पदोन्नति के संशोधन घोटाले में जिस पर जांच की आंच में तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक शिक्षा एके प्रसाद और सहायक ग्रेड 02 विकास तिवारी पर कार्रवाई हुई थी। दरअसल डीपीआई रायपुर से की जा रही इस पूरी जांच में शिक्षकों को एक प्रपत्र दिया गया है। इसमें तकरीबन 15 बिंदुओं पर लिखित में जवाब पेश कर जांच अधिकारी को सौंपना है। शिक्षकों को भेजे गए पत्र में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि पूरी शिकायत उनके द्वारा लिखित में दी गई जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जायेगी। लेकिन गोपनीयता के नाम पर शिक्षकों के साथ मजाक किया गया है। शिक्षकों की लिखित जानकारी सीधे आरोपी अधिकारियों के सामने ही लिया जा रहा है।

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