

बिलासपुर: भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन इस प्यार के धागे ने आज जेल की ऊंची चारदीवारियों को भी पार कर लिया। बिलासपुर सेंट्रल जेल में बंद भाइयों की कलाई पर राखी बांधने बहनें दूर-दराज से आईं। यहां सुरक्षा के बीच एक मार्मिक और भावुक नज़ारा देखने को मिला। रक्षाबंधन पर बिलासपुर केंद्रीय जेल में हर साल की तरह इस बार भी त्योहार विशेष तैयारी के साथ मनाया गया। सुबह-सुबह ही जेल के बाहर बहनों की लंबी कतार लग गई। उनके हाथों में थाल, राखी और मिठाई के डिब्बे थे, लेकिन आंखों में अपने भाई से मिलने की बेचैनी और खुशी साफ झलक रही थी।जेल प्रशासन ने त्योहार के लिए सख्त लेकिन व्यवस्थित इंतज़ाम किए थे। जैसे ही मुलाकात का समय शुरू हुआ, बहनों को तीन चरणों वाली सुरक्षा जांच से गुजरकर अंदर भेजा गया। हर कदम पर उनकी आंखें अपने भाई की एक झलक ढूंढ रही थीं। इस दौरान भावनाओं का सैलाब उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था।जैसे ही बहनों की मुलाकात अपने बंदी भाई से हुई, माहौल भावुक हो गया। किसी ने भाई को गले लगा लिया, तो किसी ने सिर्फ हाथ पकड़कर चुपचाप आंसू पोंछे। राखी बांधते समय बहनों ने भाई के माथे पर तिलक लगाया और मिठाई खिलाई। इस पूरे समय भावनाओं और रिश्ते की गहराई माहौल में महसूस हो रही थी।जेल प्रशासन ने इस मौके पर सुरक्षा को लेकर कोई चूक नहीं छोड़ी। सीसीटीवी कैमरों से हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही थी। राखी बांधने के बाद जेल प्रबंधन ने सभी बहनों को उपहार स्वरूप पौधे भेंट किए, ताकि वे इस पल की याद अपने साथ ले जा सकें।जेल अधीक्षक ने बताया कि यह सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ने और बदलने का अवसर भी है। ऐसे मौके कैदियों के मन में सुधार और बेहतर भविष्य की सोच जगाते हैं।राखी बांधने आई कई बहनों ने अपने भाइयों से वचन लिया कि वे अब कभी कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे उन्हें जेल आना पड़े।नम आंखों से बहनों का यह वचन सुनकर भाई भी भावुक हो गए और सिर हिलाकर वादा किया।यह सिर्फ रक्षासूत्र नहीं बल्कि सुधार और नई शुरुआत का धागा भी बन गया।त्योहार ने यहां, इन ऊंची दीवारों के बीच भी भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती को फिर साबित कर दिया।