
24 अप्रैल दोपहर 12 बजे बिलासपुर रेलवे स्टेशन से रवाना हुई इस विशेष तीर्थ यात्रा ट्रेन में बिलासपुर जिले से 381, मुंगेली से 183, और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले से 211 श्रद्धालु शामिल हुए। कुल 775 बुजुर्ग तीर्थयात्री अपने जीवन की इस विशेष यात्रा पर निकले, जिन्हें छत्तीसगढ़ सरकार ने सम्मानपूर्वक रवाना किया।इस अवसर पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला, महापौर पूजा विधानी, जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी और सभापति विनोद सोनी ,नगर निगम कमिश्नर सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दीं और सरकार की इस पहल को ऐतिहासिक बताया।बिल्हा विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना पहले डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुई थी, जिसे कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया था। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी ने फिर से इस योजना को प्रारंभ कर छत्तीसगढ़ के लोगों की आस्था को सम्मान दिया है। वे आज सचमुच श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं।गर्मी को ध्यान में रखते हुए यात्रियों के लिए एसी कोच, पेयजल, चाय-नाश्ता, दोपहर व रात्रि भोजन, डॉक्टर की सुविधा, सुरक्षा बल, और सफर के दौरान ठहराव स्थलों पर ठहरने व स्नान की संपूर्ण व्यवस्था की गई है। यह सारी व्यवस्था राज्य सरकार की ओर से निशुल्क है, जो आम यात्रियों को अपने खर्च पर भी मुश्किल से मिल पाती।

यात्रियों ने इस अवसर पर सरकार का आभार प्रकट किया और कहा कि उन्हें जो सम्मान और सुविधा इस तीर्थ यात्रा में मिली, वह अविस्मरणीय है। कई बुजुर्गों ने भावुक होकर कहा कि अब उनकी बस यही तमन्ना है कि अगली बार फिर उनका चयन हो।यात्रियों ने कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि इतनी सुविधाओं और सम्मान के साथ तीर्थ यात्रा करने का मौका मिलेगा। सरकार ने हमारे लिए जो किया, उसके लिए हम दिल से आभारी हैं।

यह सिर्फ एक तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि राज्य सरकार की संवेदनशीलता, सामाजिक उत्तरदायित्व और जनसेवा की भावना का परिचायक है। मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना बुजुर्गों को धार्मिक अनुभव के साथ समाज में सम्मान का भी एहसास करवा रही है।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार न केवल विकास और रोजगार के क्षेत्र में सक्रिय है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों के संरक्षण में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। तीर्थदर्शन योजना के माध्यम से जो सामाजिक पहल हुई है, वह छत्तीसगढ़ को एक भावनात्मक, आध्यात्मिक और मानवीय दृष्टि से समृद्ध राज्य के रूप में स्थापित करती है।