
श्री योग वेदांत सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि अहमदाबाद स्थित यह आश्रम केवल एक भवन नहीं, बल्कि देश भर में फैले संत आसाराम बापू के अन्य आश्रमों और बाल संस्कार केंद्रों का प्रेरणास्रोत है। इन केंद्रों में बचपन से ही बच्चों को भारतीय संस्कृति, धर्म, नैतिकता और संस्कारों की शिक्षा दी जाती है। आश्रम में नियमित रूप से सत्संग, योगाभ्यास, ध्यान, संस्कार शिबिर तथा सेवा कार्यों का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस आश्रम को तोड़ना केवल एक इमारत को गिराना नहीं होगा, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाना होगा। श्री योग वेदांत सेवा समिति ने स्पष्ट किया कि संबंधित भूमि वैध रूप से खरीदी गई है और आश्रम की स्थापना पूरी कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत की गई थी। इसलिए प्रशासन द्वारा यह कहना कि आश्रम को किसी अन्य उद्देश्य से उपयोग में लाया जाएगा, सरासर गलत और अन्यायपूर्ण है।

समिति के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह किया कि आश्रम को तोड़ने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इस मामले में श्रद्धालुओं की भावनाओं की अनदेखी की, तो समिति चरणबद्ध तरीके से व्यापक आंदोलन की राह भी अपना सकती है। श्री योग वेदांत सेवा समिति ने प्रशासन से मांग की है कि धार्मिक स्थलों और आश्रमों के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की भी है। ऐसे केंद्रों पर कार्रवाई से पहले जनभावनाओं, धार्मिक महत्व और कानूनी स्थिति का समुचित मूल्यांकन आवश्यक है। समिति ने विश्वास जताया कि प्रशासन इस मामले में सकारात्मक पहल करेगा।