
देश में लोकतंत्र को सशक्त और व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से वन नेशन, वन इलेक्शन यानी एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा पर चर्चा जोरों पर है। इसी क्रम में बिलासपुर के प्रतिष्ठित सीएमडी कॉलेज में इस विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और आमजन को इस नीति के पीछे की सोच, संभावनाएं और चुनौतियों की जानकारी देना था।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम प्रकाश पांडे शामिल हुए। साथ ही नगर विधायक अमर अग्रवाल, महापौर पूजा विधानी, भाजपा शहर अध्यक्ष दीपक सिंह, सभापति विनोद सोनी और अन्य भाजपा पदाधिकारी भी मौजूद रहे। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, प्राध्यापक और शहर के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी शामिल हुए।कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ने स्वागत भाषण से की। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि ऐसे अहम राष्ट्रीय विषय पर विचार-विमर्श की शुरुआत सीएमडी कॉलेज से हो रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से छात्रों में जागरूकता बढ़ेगी और वे राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी भूमिका को समझ सकेंगे।संगोष्ठी में वन नेशन, वन इलेक्शन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने बताया कि देश में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित होता है। बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में रुकावट आती है और शासन-प्रशासन की ऊर्जा केवल चुनाव प्रबंधन में ही खर्च हो जाती है।पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडे ने बताया कि यदि पूरे देश में एक साथ चुनाव होते हैं तो इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये की बड़ी राशि भी बचाई जा सकती है। इस बचत राशि का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और अन्य विकास कार्यों में किया जा सकता है।

नगर विधायक अमर अग्रवाल ने युवाओं की उपस्थिति और उनकी जिज्ञासाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज के छात्र कल के मतदाता और नीति-निर्माता होंगे। ऐसे में उनका इन मुद्दों को समझना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक साहसिक और दूरदर्शी कदम है।संगोष्ठी के दौरान छात्रों और प्राध्यापकों ने अनेक सवाल पूछे, जिनमें मुख्य रूप से यह था कि सभी चुनाव एक साथ कराना तकनीकी रूप से कितना संभव है, इसका कार्यान्वयन कब तक होगा और इससे क्षेत्रीय विविधताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वक्ताओं ने सभी सवालों के उत्तर दिए और प्रक्रिया की व्यावहारिकता को स्पष्ट किया।वक्ताओं ने यह भी बताया कि यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे राजनीतिक दलों को भी सकारात्मक राजनीति करने की दिशा में बढ़ावा मिलेगा। बार-बार चुनाव की वजह से होने वाले राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और सामाजिक ध्रुवीकरण में कमी आएगी, जिससे देश में स्थायित्व और समरसता का वातावरण बनेगा।

बीजेपी शहर अध्यक्ष दीपक सिंह ने कहा कि कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि इस विषय पर केंद्र सरकार द्वारा एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति कर रहे हैं। यह समिति विभिन्न राजनीतिक दलों, राज्यों और विशेषज्ञों से बातचीत कर इस व्यवस्था के लिए रोडमैप तैयार कर रही है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद जल्द ही इसे कानूनी रूप दिया जा सकता है।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी संगोष्ठियाँ लोकतंत्र को सशक्त करने की दिशा में अहम भूमिका निभाती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि छात्र इस विषय पर आगे भी शोध और चर्चा करेंगे, जिससे वे एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सकें। संगोष्ठी में युवाओं की सक्रिय भागीदारी और उत्साह से कार्यक्रम अत्यंत सफल और प्रेरणादायक रहा।
संगोष्ठी का समापन इस सकारात्मक संदेश के साथ हुआ कि वन नेशन, वन इलेक्शन जैसे दूरदर्शी विचारों पर युवाओं की भागीदारी बेहद जरूरी है, क्योंकि यही भविष्य के नीति निर्माता हैं। कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि देश की लोकतांत्रिक मजबूती केवल सरकार की नीतियों से नहीं, बल्कि जागरूक नागरिकों की सहभागिता से संभव है। विचार-विमर्श की यह शुरुआत न केवल जानकारी का आदान-प्रदान था, बल्कि यह एक ऐसी पहल थी, जो युवाओं को सोचने, सवाल करने और देशहित में दिशा तय करने की प्रेरणा देकर गई।