
बिलासपुर / बता दें कि 24 जून 2021 को एसीबी ने आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में तहसीलदार नारायण गवेल और पटवारी कौशल यादव के ऊपर एफआईआर दर्ज किया था। इसमें एक तरफ़ जहां तहसीलदार नारायण प्रसाद गवेल के ख़िलाफ़ चार सप्ताह में जाँच पूरी कर चार्जशीट पेश करने का आदेश जारी किया गया है…वहीं दूसरी तरफ़ कौशल यादव के मामले में छह सप्ताह के भीतर जाँच समाप्त कर कोर्ट के समक्ष पूर्व के प्राम्भिक जाँच के आधार पर खात्मा पेश करने का आदेश किया गया है। पटवारी के वकील ने तर्क पेश किया था कि कौशल यादव के ख़िलाफ़ एसीबी यह दूसरी बार जाँच की जा रही है। दिसंबर 2019 में एफआईआर का खात्मा किया जा चुका है फिर चार साल के भीतर फिर से दुबारा जाँच करके प्रताड़ित किया जा रहा है। दुबारा जो जाँच की जा रही है वह केवल प्रताड़ना के उद्देश्य से की जा रही है। और एक प्रकार से पूर्व में खात्मा करने वाले एसीबी के ही अधिकारियों की भी जाँच की जा रही है कि उन्होंने खात्मा कैसे कर दिया। यह विरोधाभास वाली स्थिति उत्पन्न हो गई थी।वही एजेंसी वही अधिकारी अपने ही जाँच के ख़िलाफ़ फिर दुबारा जाँच….इस पर कोर्ट ने पूर्व का जाँच पर क्लोजर रिपोर्ट पेश करने निर्देशित किया है। बता दें दबी ज़ुबान से लोग यह कह रहें हैं कि तहसीलदार एनपी गवेल और पटवारी कौशल यादव के बीच लंबे समय से जंग छिड़ी हुई है जिसमें एक दूसरे को निपटाने का खेल चल रहा है। यह लड़ाई बिलासपुर का चर्चित लड़ाई है। जो आये दिन लोगो के जुबान में छाये रहता है।
