
बिलासपुर में प्रदेश की पहली अंडरग्राउंड सीवरेज योजना 2008 में 422 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई। जो 2010 तक पूरी होनी थी, वो अब 2025 में भी अधूरी है। अब नगर निगम ने GPR सर्वे शुरू किया है, ताकि तय हो सके कि आखिर कहां सीवरेज डाला गया और कहां सिर्फ बजट डकार लिया गया।
इस योजना के तहत 40 हजार घरों को जोड़ने का वादा किया गया था, पर अब तक जुड़े सिर्फ 21 हजार 17 और 54 MLD के STP प्लांट तैयार तो हुए, लेकिन 5 हजार से ज्यादा चैंबर, 165 इंटरकनेक्शन और 2 पंपिंग स्टेशन अब भी अधूरे हैं और अब GPR सर्वे के नाम पर फिर खुदेगा शहर फिर होगी खुदाई..फिर लगेगा पैसा..विपक्ष का सीधा आरोप है कि सीवरेज की तरह ही अब सर्वे भी सिर्फ नया बहाना है। बजट की एक और बंदरबांट की तैयारी है।
सवाल ये नहीं कि सीवरेज योजना अधूरी क्यों है सवाल ये है क्या इसे जानबूझकर अधूरा छोड़ा गया? क्या कागजों में काम पूरा दिखाकर जमीन पर घोटाला कर लिया गया? अब GPR सर्वे से परतें तो खुलेंगी लेकिन सवाल ये भी है क्या ये सर्वे भी घोटाले का नया तरीका बन जाएगा? या वाकई सच्चाई सामने आएगी?