
छत्तीसगढ़ शासन ने शहर के जल स्तर को बनाये रखने सरोहर धरोहर योजना के तहत शहर के तालाबो का उन्नयन कराया था। करोड़ो रूपये ख़र्च किये गए पर इनके रखरखाव का प्रबंध नही किया गया। तालाब के लाइटिंग, फव्वारे, पाथवे और रिटेलिंग वाल के चारो तरफ के पाइप तक असमाजिक तत्व उखाड़कर ले गए। और 4 करोड़ की लागत से सौन्दर्यीकृत यह तालाब मैला गड्ढा में तब्दील हो गया है। नाले नालियों के बदबूदार पानी के जोरा तालाब में जमा होने से यहां मच्छर और गंदगी का आलम है। आसपास के लोगो का मछरों के आतंक के कारण यहाँ जीना मुहाल है। तालाब के रिटेलिंग वाल के चारो तरफ से लोहे के पाईप गायब है बिजली के खम्भे और बच्चों के खेलने का एरिया टूट फुट कर क्षतिग्रस्त हो चुका है।

जोरा तालाब में वर्षों से स्थानीय निवासी दशगात्र कार्यक्रम, दुर्गा विसर्जन, गणेश विसर्जन इत्यादि त्योहार पर इस्तेमाल करते आ रहे हैं। जोरा तालाब की स्थिति दिन प्रतिदिन बत से बत्तर होती जा रही है और असामाजिक तत्वों के लिए यह एक स्थान बन गया है जहां उन्हें कोई रोकने रोकने वाला नहीं है स्थानीय पार्षद श्याम साहू ने बताया कि लगातार जोरा तालाब के सौंदरीकरण की मांग की जा रही है। जिसको लेकर एक करोड़ की राशि पास भी हुई है लेकिन अभी तक इस राशि का स्वीकृति नहीं आया है। पार्षद ने बताया कि हमारे द्वारा इस राशि की स्वीकृति का प्रयास किया जा रहा है ताकि जोरा तालाब का विकास कार्य शुरू किया जा सके और लोगों को जोरा तालाब के सौंदर्य करण का लाभ मिल सके।

अब देखना यह है कि बरसों पुराना जोरा तालाब की स्थिति कब तक ठीक होती है स्थानीय निवासियों को नाली बदबू गंदगी की समस्या से कब तक निजात मिल पाता है या फिर आने वाले कुछ साल और उन्हें इस नर्क में अपना जीवन बिताना पड़ेगा।