केंद्रीय लाइब्रेरी का संचालन नगर निगम ने अब निजी ठेके पर दे दिया है ।1 अगस्त से इसे ठेका कंपनी चला रही है । ये जब से ठेके पर गया है समस्याओं का अंबार लग गया है। बड़ी समस्या यहां वाई-फाई का ना चलना है। विद्यार्थियों का कहना है कि सारी सुविधा देने का वादा किया था लेकिन काफी समय से यहां वाई-फाई नहीं चल रहा है ,जिससे हमें ऑनलाइन पढ़ाई करने में समस्या हो रही है ,इसकी शिकायत के बाद भी प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है । केंद्रीय लाइब्रेरी में प्रवेश के लिए ₹1500 शुल्क तय है उसके बाद प्रत्येक महीना ₹500 सुविधाओं के नाम पर लिए जाते हैं लेकिन सुविधा के नाम पर बच्चों को ठगा जा रहा है, वही प्रबंधन का कहना है कि वाई-फाई में दो दिनों से अड़चन आ रही थी जिसे सुधार लिया गया है जबकि विद्यार्थियों का कहना कुछ और ही है। ठेका कंपनी के कर्मचारी बहुत कुछ छिपाने में लगे हुए हैं

गौरतलब है कि नगर निगम इसका संचालन कर रही थी लेकिन 1 अगस्त से इसे असम के किसी कंपनी को ठेके पर दे दिया गया है। उसके बाद से यहां स्थिति बदहाल हो गई है, मजे की बात है कि यहां पर छह स्टाफ है और उन्हें ही यह तक पता नहीं है कि वे किस कंपनी के अधीन काम कर रहे हैं, ना ही उन्हें नियुक्ति पत्र मिला है और ना ही वेतन का आता पता है ।केवल इसी आस में काम कर रहे हैं कि हमें आगे वेतन और नियुक्ति पत्र मिलेगा, जबकि पहले भी वेतन को लेकर कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया था, उसके बाद भी स्थिति जस कीतस बनी हुई है । ठेका कंपनी के कर्मचारियो में भी इस बात को लेकर आक्रोश है कि उन्हें अब तक औपचारिक रूप से कुछ भी नहीं बताया गया है और ना ही नियुक्ति पत्र और वेतन की जानकारी दी गई है। मजे की बात है तीन मंजिला इमारत में लिफ्ट भी खराब पड़ी है साथ ही फायर सिस्टम भी एक्सपायरी हो चुके हैं। इन तमाम सुविधाओं की ओर ठेका कंपनी और ना ही नगर निगम कोई ध्यान दे रही है, कहीं कभी कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा यह एक बडा प्रश्न है।
