
बैठक में प्रदेश के हर जिले से आए राइस मिलर्स ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बैठक के दौरान बताया कि कस्टम मिलिंग के पिछले कई वर्षों से मार्कफेड पर करोड़ों रुपये बकाया हैं। इस बकाया ने मिलर्स की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला है। अध्यक्ष ने कहा कि मार्कफेड ने कई मामलों में बिल की गलत गणना की है, जिससे मिलर्स को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्यों से हुई बैठक में सरकार ने मांगें पूरी करने का भरोसा दिया है। आगामी दिनों में होने वाले केबिनेट की बैठक में उनकी मांगों पर फैसला लेने का आश्वासन भी दिया है।कोषाध्यक्ष गौरव अग्रवाल ने बताया कि प्रमुख रूप से उनकी मांग चावल जमा के लिए विंग्स ऐप में आवेदन प्रक्रिया को सरल करना,निर्धारित अवधि के बाद ही पेनल्टी लगाई जाए,बारदाना वापसी के लिए उपयोगिता शुल्क देकर बारदाना लौटाया जाए, या उसकी कीमत दी जाए।

मिलर्स ने धान-चावल परिवहन और FRK के भुगतान में सुधार की मांग भी है। प्रोत्साहन राशि को ₹120 प्रति क्विंटल पर बरकरार रखे जाने की मांग भी दोहराई गई।मिलर्स की नाराजगी से इन दिनों में कस्टम मिलिंग प्रक्रिया पर असर पड़ रहा है। लेकिन सरकार के साथ बातचीत के बाद अब वे अपना आंदोलन वापस लेने की बात कह रहे हैं। वहीं उनकी मांग पूरी करने के लिए उन्होंने शासन के मंत्री मुख्यमंत्री समेत अधिकारियों का धन्यवाद भी ज्ञापित किया है।