

बिलासपुर में मसीही समाज ने एकजुट होकर उस कार्रवाई का विरोध किया, जिसमें दो आदरणीय नन्स और बहनों को धर्मांतरण व ह्यूमन ट्रैफिकिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। समाज का कहना है ये आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं, जिनका सच सामने लाना जरूरी है।


मसीही समाज का मानना है कि जिन नन्स पर कार्रवाई की गई, वे वर्षों से सेवा कार्यों में जुटी रही हैं। उन्होंने अपना जीवन समाजहित में समर्पित किया है, और कभी भी किसी विशेष समुदाय तक सीमित न रहकर सबकी सेवा की है। समाज का आरोप है कि यह गिरफ्तारी सुनियोजित और किसी एक समुदाय को टारगेट करने की कोशिश है।शुक्रवार 1 अगस्त की रात बिलासपुर के विभिन्न चर्च परिसरों में पास्टरों, चर्च के प्राचीनों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने शांतिपूर्वक कैंडल जलाकर विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन में कोई नारेबाजी नहीं की गई, बल्कि मौन रहकर न्याय की अपील की गई।कैंडल मार्च और मौन प्रदर्शन कुदुदंड स्थित चर्च ऑफ क्राइस्ट, सीएमडी चौक तारबाहर का चर्च ऑफ क्राइस्ट, सिविल लाइन का डिसाईपल्स ऑफ क्राइस्ट चर्च, मंगला स्थित सेंट पेलोटी चर्च और बराका प्रेयर टावर समेत कई जगहों पर आयोजित हुआ। हर जगह प्रदर्शन में समान संदेश था निर्दोषों को बरी करो।


राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा, बिलासपुर इकाई के नेतृत्व में हुए इस विरोध में मनोरंजन एलकाना, एडवर्ड मसीह, निलेश मसीह, एम.के. मसीह, पास्टर संदीप प्रकाश, पास्टर डेविड लहरी, हिमांशु हेनरी और पास्टर रापू जॉर्ज जैसे प्रमुख चेहरे मौजूद रहे।
मसीही समाज का कहना है कि वह न्याय पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगा और संविधान के दायरे में रहकर अपनी बात रखेगा। समाज ने शासन और प्रशासन से मांग की है कि बेगुनाह नन्स पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच हो और उन्हें तुरंत बरी किया जाए।