
तोरवा के स्थानीय निवासियों के मुताबिक रात करीब 11 बजे ट्रांसफार्मर से अचानक तेज आवाज आई और चिंगारी निकलने लगी, जिसके कुछ ही पलों में आग ने विकराल रूप ले लिया। बस्तीवासियों ने तुरंत बिजली विभाग को सूचना दी, लेकिन विभाग की टीम मौके पर समय पर नहीं पहुंची। आग लगने के बाद पूरे मोहल्ले में अंधेरा छा गया, और भीषण गर्मी के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह रात किसी नरक जैसी साबित हुई। ना पंखा चला, ना कूलर और ना ही पीने के ठंडे पानी की व्यवस्था हो सकी।यह पहली बार नहीं है जब विभाग की लापरवाही से लोगों को इस तरह की त्रासदी झेलनी पड़ी हो। मेंटेनेंस के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद गर्मी, हल्की बारिश या आंधी आते ही बिलासपुर के कई इलाकों में बिजली गुल हो जाना अब आम बात हो चुकी है।

ओवरलोडिंग के कारण जंपर कटना, डिओ उड़ना और ट्रांसफार्मर जलने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। सवाल ये उठता है कि आखिर इतने खर्च के बावजूद बिजली आपूर्ति व्यवस्था इतनी असहाय और कमजोर क्यों है? जब गर्मी का मौसम हर साल आता है तो विभाग समय रहते उचित तैयारी क्यों नहीं करता।गुरुवार सुबह बिजली विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कई घंटों की मशक्कत के बाद ट्रांसफार्मर की मरम्मत कर बिजली आपूर्ति को बहाल किया गया। लेकिन तब तक जनता पूरी रात गर्मी से तड़पती रही। वहीं दूसरी ओर, इस समय बिलासपुर का तापमान 44 डिग्री के पार है। लोग दिनभर घरों में बंद रहने को मजबूर हैं और शाम-रात को भी लू जैसी गर्म हवाएं चल रही हैं। ऐसे में बिजली गुल होने की स्थिति में लोगों की तकलीफें दोगुनी हो जाती हैं। विभाग की लापरवाही ने साफ कर दिया है कि जनता को राहत देने की बजाय बिजली विभाग सिर्फ कागजी दावों और बैठकों में ही व्यस्त है।