

बिलासपुर :- शनिवार को एनआईए कोर्ट से नन बहनों को जमानत मिलने के बाद पूरे मसीही समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। सेवा, त्याग और बलिदान के लिए समर्पित इन नन बहनों की रिहाई को समाज ने सत्य की जीत बताया। आज रविवार को चर्च ऑफ क्राइस्ट में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित हुई, जिसमें प्रभु को धन्यवाद दिया गया और रिहाई की खुशी साझा की गई।यूनियन पादरी सुदेश पाल के नेतृत्व में हुई इस प्रार्थना सभा में सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। सभी ने प्रभु के प्रति आभार जताते हुए कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता। नौ दिन की बंदी के बाद मिली जमानत को उन्होंने विश्वास और प्रार्थना की जीत बताया।इस मौके पर पादरी सुदेश पाल ने कहा सद्भाव और आपसी सम्मान भारतीय संस्कृति का मूल है। हर व्यक्ति को हर धर्म और संप्रदाय का आदर करना चाहिए, यही असली मानवता का धर्म है।उन्होंने सभी से शांति, एकता और भाईचारे का संदेश फैलाने की अपील की।नन बहनों की रिहाई पर विदेशी क्रिश्चियन कमेटी ने भी खुशी जताई। देश-विदेश से आए संदेशों में कहा गया कि यह फैसला धार्मिक स्वतंत्रता और समाज में सौहार्द का प्रतीक है। चर्च प्रशासन ने भी इसे न्याय की जीत बताया और सभी धर्मों के लोगों को साथ मिलकर रहने का संदेश दिया।नन बहनों के लिए लंबे समय से प्रार्थना कर रहे श्रद्धालु इस मौके पर भावुक हो उठे। महिलाओं ने कहा कि नन बहनें समाज की सेवा और बलिदान का प्रतीक हैं।मसीही समाज का कहना है कि यह सिर्फ एक रिहाई नहीं, बल्कि सेवा, सत्य और न्याय की जीत है। उनका विश्वास है कि प्रभु में अटूट भरोसा और निरंतर प्रार्थना से हर मुश्किल का हल निकल सकता है।उन पर बेबुनियाद आरोप लगाना अनुचित था। बहनों की रिहाई ने न सिर्फ मसीही समाज में नई ऊर्जा और उम्मीद जगाई है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि सत्य के मार्ग पर चलने वालों को अंततः न्याय मिलता है। प्रार्थना, विश्वास और भाईचारे की इस जीत को समाज लंबे समय तक याद रखेगा। अब सभी की दुआ यही है कि आगे भी शांति, सद्भाव और एकता का यह सिलसिला कायम रहे।इस तरह सभा में मौजूद लोगों ने मिठाई बांटी और एक-दूसरे को बधाई दी।
कार्यक्रम में विल्सन जॉन,अरविंद कुमार, मुकेश पाल, सनी जॉन, सुमल राकेश पाल, मार्टिन हेनरी, जॉन साइरस, अजय सिंह, रवि हेम्ब्रम, अंजलि नग, बिपिन मसीह समेत बड़ी संख्या में समाजसेवी और श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में नन बहनों के लिए जयकारे लगाए मसीही समाज जिंदाबाद।