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Friday, June 20, 2025
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बहतराई का मुक्तिधाम छोटे-बड़े झाड़ का बना जंगल, ग्राम पंचायत के जमाने से बदहाल यह मुक्तिधाम; जहां ना शेड है न पानी है न बिजली।

सुविधाएं तो दूर बहतराई का मुक्तिधाम छोटे बड़े झाड़ का जंगल बन गया है. ग्राम पंचायत के जमाने से बदहाली ने मुक्तिधाम का पीछा नहीं छोड़ा है. यहां शेड, पानी, बिजली का इंतजाम तक नहीं किया है।

बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र के बहतराई मे अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम बना है ,लेकिन यहां सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. मुक्तिधाम में टीनशेड ही नहीं है, जिसके कारण लोगों को खुले में ही अंतिम संस्कार करना पड़ता है. यदि बारिश हो जाए तो भीगते हुए क्रिया कर्म करने की मजबूरी है. परिसर मे बैठने की व्यवस्था तो दूर चारों तरफ फैली झाड़ियों के कारण यहां खड़ा होना भी मुश्किल है. अलग अलग बनाने के बजाय एक बड़ा चबूतरा तैयार किया है गया है जिससे एक समय मे एक से ज्यादा शव लाने पर परिजनों को दाह संस्कार करने मे दिक्कत होती है. बहतराई के बी आर यादव स्टेडियम के सामने 30 साल पहले उजाड़ विरान सरकारी भूमि पर आसपास रहने वाले ग्रामीण अन्तिम संस्कार करते थे। कुछ साल बाद ग्राम पंचायत ने एक एकड़ भूमि मुक्तिधाम के लिए आरक्षित कर दिया. बहुत से लोगों ने सामाजिक परंपरा के अनुसार यहां बना अपने दिवंगता सदस्यों को दफना कर पक्का निर्माण किया है. अव्यवस्थित अंतिम संस्कार करने से मुक्तिधाम मे जगह जगह मकबरे बन गए है. एक जगह बाउंड्रीवाल टूटा है जिससे परिसर मे फैली घास खाने मवेशी भीतर पहुंच जाते है. स्थानीय वरिष्ठ नागरिक मुक्तिधाम की बदहाल स्थिति कई दशकों से देख रहे है. चार साल हुए बहतराई को नगर निगम मे शामिल हुए, य़ह इलाक़ा वार्ड क्रमांक 49 मे आता है।

स्थानीय लोगों ने कई बार वार्ड पार्षद से मुक्तिधाम संवारने और सुविधाए दिलाने कहा लेकिन कोई पहल नहीं की गई. स्थानीय प्रशासन से भी मुक्तिधाम जीर्णोद्धार की मांग कर चुके हैं.बता दे कि बिजौर, बहतराई की करीब दस हज़ार की आबादी इकलौते मुक्तिधाम पर निर्भर है. मुक्तिधाम में साफ-सफाई नहीं है। यहां पर गाजार घास और झाडिय़ां ऊग आईं हैं। जिसके कारण अंतिम संस्कार के लिए आये लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां लगा एक मात्र हैंडपंप कई साल हुए खराब पड़ा है जिससे पानी का जुगाड़ करने के बाद लोग अंतिम संस्कार करने पहुंचते है.
स्थानीय लोगों ने य़ह भी बताया कि एक किमी दूर से लकड़ी खरीदकर लाने के बाद अंतिम संस्कार हो पाता है।

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