
बिलासपुर समेत देशभर में शनिवार 7 जून को ईद-उल-अजहा बकरीद का पर्व पूरी अकीदत और उल्लास के साथ मनाया गया।सुबह ईदगाह, मस्जिदों और दरगाहों में नमाज अदा की गई, जहां लोगों ने अमन-चैन और मुल्क की तरक्की के लिए दुआ मांगी। नमाज के बाद मुस्लिम भाईयों ने एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी।पर्व को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।शहर की प्रमुख ईदगाहों और मस्जिदों में पुलिस बल तैनात रहा, जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।नमाज के बाद इमामों ने भाईचारे, इंसानियत और आत्म-सुधार का संदेश देते हुए कहा कि बकरीद सिर्फ जानवर की कुर्बानी का नाम नहीं, बल्कि अपने अंदर की बुराइयों को भी खत्म करने का अवसर है।

ईद-उल-अजहा की पूर्व संध्या पर बकरा मंडियों में खरीददारों की भीड़ रही, जहां लोगों ने मोलभाव कर कुर्बानी के लिए जानवर खरीदे। बाजारों में सेवईं, नए कपड़े और मिठाइयों की खरीदारी के लिए भी जबरदस्त चहल-पहल रही, खासकर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में त्योहार की रौनक देखते ही बन रही थी।धार्मिक परंपरा के अनुसार, कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है।एक हिस्सा गरीबों को, दूसरा रिश्तेदारों को और तीसरा खुद के इस्तेमाल के लिए रखा जाता है।बकरीद को हजरत इब्राहीम की जानिसारी और अल्लाह की रज़ा के लिए दी गई कुर्बानी की याद में मनाया जाता है, जो हमें ईमान, तौहीद और फ़िदाकारी का पैग़ाम देता है।