
रायपुर प्रदेश में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर जहां एक ओर सरकार शिक्षकों की समुचित नियुक्ति की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के साथ-साथ तृतीय वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने इस प्रक्रिया में गंभीर खामियों का आरोप लगाते हुए विरोध शुरू कर दिया है। संघ का कहना है कि स्कूलों की सूची जल्दबाजी में तैयार की गई है, जिसमें कई विसंगतियाँ पाई गई हैं। राज्य सरकार का दावा है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य एकल शिक्षक और शिक्षक विहीन स्कूलों में अध्यापकों की पूर्ति करना है, ताकि शैक्षणिक गतिविधियाँ बाधित न हों। इसके तहत अतिशेष शिक्षकों की सूची जारी की गई है, जिन्हें इन जरूरतमंद स्कूलों में स्थानांतरित किया जाना है।

लेकिन कर्मचारी संघ का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं की गई और कई योग्य शिक्षकों को अनावश्यक रूप से सूची में शामिल कर दिया गया है।छत्तीसगढ़ तृतीय वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने इस मुद्दे पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि कुछ अधिकारी अपने परिचितों को बचाने के उद्देश्य से पक्षपातपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। संघ ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाए और दावा-आपत्ति के लिए समय दिया जाए ताकि कोई भी कर्मचारी अन्याय का शिकार न हो। संघ के विरोध को लेकर शीघ्र ही एक ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें अधिकारियों से पारदर्शिता और न्याय की मांग की जाएगी। प्रधानपाठक रोहित कुमार भांगे ने भी इस प्रक्रिया में स्वयं से जुड़ी विसंगति को साझा करते हुए कहा कि यदि सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो शिक्षक वर्ग में असंतोष और बढ़ेगा।