छत्तीसगढ़ का प्रमुख लोक पर्व पोला सोमवार को धूमधाम से मनाया गया खेती कार्य में लगे बैलों की पूजा की गई वहीं इसका दूसरा पहलू चिंता जनक है, कुछ पशुपालक और किसान अपने मवेशियों को खुले में सड़कों पर छोड़ देते हैं जिससे वे आए दिन हादसे में घायल होते हैं, लोगों का कहना है केवल एक दिन गाय बैलों की पूजा करने से बेहतर है कि रोजाना उनकी देखभाल की जाए और उन्हें निर्धारित स्थान पर रखें, जिससे वे दुर्घटनाओं से बच सके। जिले में ही साल भर में लगभग 10,988 पशु इलाज के लिए जिला पशु चिकित्सालय पहुंचते हैं, जिसमें से 10% गौवंशी होते हैं जो सड़क हादसे में घायल होते हैं।

जिला पशु चिकित्सालय के डॉक्टर ने बताया कि पिछले साल ओपीडी से ही एक लाख 6 हजार 512 रुपए प्राप्त हुए हैं, जबकि मार्च से अगस्त के बीच लगभग 75 से 80 हजार जानवर इलाज के लिए पहुंचे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में गोवंश है जो सड़क दुर्घटनाओ से घायल होकर अस्पताल पहुंचे हैं। पशुपालक और किसानो द्वारा मवेशी के उपयोग के बाद इन्हें खुले में छोड़ दिया जाता है या जब तक जो गाय दूध देती है उन्हें सहेज कर रखा जाता है उसके बाद उन्हें लावारिस छोड़ दिया जाता है, जो सड़कों में नजर आते हैं जिससे हादसे में राहगीर सहित मवेशी भी घायल हो जाते है। गौ सेवकों और पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस प्रकार मवेशियों को खुले में ना छोड़े उन्हें निर्धारित स्थानों पर ही रखें और उनकी सेवा करें।

