जलकुंभी का पौधा एक जलीय खरपतवार के रूप में क्षेत्र के लगभग सभी जल स्रोतों में मौजूद है। हालांकि स्थानीय स्तर पर कई बार जलाशयों से उसे हटाया जा चुका है। लेकिन इसकी वृद्धि दर अधिक होने की वजह से यह जल्द ही संपूर्ण जल सतह में अपनी जगह बना लेती है। जिस वजह से अब जलकुम्भी जलीय जैव विविधता एवं पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। जमीन की आर्द्रता और भूजल स्तर को बेहतर बनाए रखने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले बिलासपुर शहर के तालाबों की हालत इसकी वजह से ख़राब होती जा रही है।

शहर के कई तालाबों में जलकुम्भी का जाल बिछा हुआ है। साफ़ सफ़ाई और देखरेख की कमी के चलते शहर के ज़्यादातर तालाबों का यही हाल है। बिलासपुर का छठ घाट भी अपनी इसी बदहाली पर रो रहा है। छठ घाट में जिधर भी नज़र घुमाएं जलकुम्भी ही दिखाई पड़ती है। कई तालाब तो घास के मैदान की तरह नज़र आते हैं। पानी का कोई नामोनिशान ही दिखाई नहीं पड़ता। प्रशासन की तरफ़ से कागज़ों में होने वाली साफ़ सफ़ाई धरातल पर पूरी तरह से ग़ायब है।