
बिलासपुर// ज्ञात हो कि बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे में नगर पंचायत सरगांव और भोजपुरी के बीच सरकार के द्वारा टोल नाका बनाया गया है। जहां पर आए दिन आरटीओ बिलासपुर की गाड़ी खड़ी हुई दिखाई देती है जिसके द्वारा लगातार आने जाने वाले सभी गाड़ियों का कागज पेपर चेक किया जाता है। जिस पर कुछ भी खामी पाई जाती है उसे पेनाल्टी लगाया जाता है।
लेकिन मामला कुछ और ही नजर आया जब नगर पंचायत सरगांव हाईटेक बस स्टैंड के पास एक लोहे के टुकड़ा से भरा हुआ हाईवा पिछले 2 दिनों से और बीते राज 3 अन्य गाड़ियां आकर खड़ी हुई तब ग्रामीणों के द्वारा आवाज उठाई गई कि इतनी गाड़ियां आखिर किस वजह से यहां पर खड़ी की गई है जहां ग्रामीण और पत्रकारों के द्वारा सरगांव थाने में जाकर इस मामले की पुष्टि की तो थाने से पता चला कि उनके द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं किया गया है पता नहीं किसके द्वारा या गाड़ी लाकर खड़ा किया गया है।
अवैध वसूली की खुली पोल..
जब ग्रामीण और पत्रकारों को थाना सरगांव से संतुष्टि पूर्वक जवाब नहीं मिला तो वह गाड़ी के चालकों के पास जाकर जानकारी लेना चाहा। जहां गाड़ी चालकों से पर पता चला कि एक गाड़ी कि कागज पूरा नहीं है, इसलिए 2 दिन से खड़ा किया गया है। और साथ ही बीते रात को आए तीन गाड़ी में एंट्री फीस जमा नहीं हुआ है की बातें सामने आई हैं। ड्राइवरों ने बताया कि एंट्री कराने का काम मालिकों का रहता है। उनके द्वारा हमें कहा गया था कि गाड़ी की एंट्री हो गया है और मोबाइल में भी ऑनलाइन दिखा रहा है कि एंट्री हुआ है।
ड्राइवरों से मिली जानकारी के अनुसार RTO बिलासपुर में एस्ट्रा एंट्री की भी जरूरत रहती है। जब एस्टर एंट्री रहता है। तब गाड़ी ओवरलोड रहे या फिर कोई कागज की कमी रहे गाड़ी को यूं ही छोड़ दिया जाता है।
एक ने बताया कि कोई RTO के अधिकारी साहू मेरे साथ गाड़ी में बैठ कर आया वह बोला कि 5000 रुपये लगते है। एंट्री के लिए अब यह एंट्री शासन के खाते का है या फिर..? जांच का विषय..
आपको बता दें कि नेशनल हाईवे रायपुर बिलासपुर भोजपुरी टोल प्लाजा में हर रोज लगभग हजारों माल लोड गाड़ियां का आना-जाना होता हैं। जहां अगर चेक किया जाए तो कई गाड़ीयों में ओवरलोड दिखाई देता है। अगर उनके द्वारा एंट्री फीस एस्टर दिया गया हैं। या दिया जाता है तो आरटीओ विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाता ऐसा जानकारी प्राप्त हो रहा है।
अब देखने वाली बात होगी कि खबर के प्रकाशन के बाद शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देती है कि नहीं और अवैध वसूली करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।