छत्तीसगढ के लोक पर्व पोला की तैयारी धूमधाम तथा हर्षो उल्लास के साथ की जा रही है। कृषि कार्य में सहायक नंदी बैल की इस दिन पूजा अर्चना की जाएगी। इस वर्ष 2 सितंबर को पोरा का पर्व मनाया जाएगा। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो कृषि और खेती में बैलों की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें सम्मानित करता है। छोटे बच्चे तथा बड़े बुजुर्ग बैल रूपी मिट्टी के खिलौने को चलाकर बैलों का सम्मानित करते हैं।

यह मान्यता हैं की यह करने से खेती और कृषि केंद्र में अच्छी फसले होगी। यह त्यौहार पिठोरी अमावस्या या श्रावण मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। पोला के दौरान, किसान अपने बैलों को सजाते हैं और उन्हें विशेष भोजन खिलाते हैं और उन्हें लाड़-प्यार और पूजा करते हैं। गौवंश को नहलाया जाता है, कपड़े पहनाए जाते हैं और उनके गले में घंटियों के साथ मालाएँ पहनाई जाती हैं।

गायों के साथ काम करने वाले बैलों को भी कपड़े और धातु की अंगूठियाँ पहनाई जाती हैं। पोला त्यौहार की तैयारी शहर में देखी जा रही है। शनिचरी बाजार में मार्केट सज चुका है नंदी बैल के तरह-तरह के मिट्टी और लकड़ी के खिलौने उपलब्ध हैं। इसके साथ ही बच्चों के खेलने वाले खिलौने भी देखे जा रहे हैं। व्यापारियों ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल भी रेट लगभग वही है ₹10 से ₹100 के अंदर के मिट्टी के नंदी बैल और मिट्टी के बर्तन मिल रहे हैं। शाम को खरीदारी करने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।

