अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश ने विदा ली तो इसी दिन उनके स्वसुर भगवान विश्वकर्मा की स्थापना कर उनकी पूजा अर्चना की गई। ब्रह्मा के दत्तक पुत्र भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी माने जाते हैं। बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि भगवान गणेश की पत्नी रिद्धि और सिद्धि , विश्वकर्मा की ही पुत्रियां है। कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाती है। एक कथा यह भी प्रचलित है कि अंग्रेजों के जमाने में बंगाल में श्रमिकों को हावड़ा ब्रिज निर्माण के समय सफलतापूर्वक कार्य होने और मजदूरो को रिझाने के लिए विश्वकर्मा पूजा कर भोग भंडारे का आयोजन किया गया था, तब से हर वर्ष 17 सितंबर को ही यह पर्व मनाया जाता है। सतयुग में भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक का निर्माण किया। त्रेता में लंका का, द्वापर में द्वारका का और कलयुग में हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ का निर्माण उन्होंने ही किया। माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी के विशाल काय अद्भुत मूर्तियों का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। कहते हैं विश्वकर्मा पूजा परंपरा की शुरुआत बंगाल से हुई और फिर रेलवे की स्थापना के साथ बड़ी संख्या में बंगालियों के बिलासपुर आने से बिलासपुर में भी भव्य रूप से भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जा रही है। कल- कारखाने, वर्कशॉप कार्यालय में मंगलवार को धूमधाम से भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई गई ।


यह अवसर पर बिलासपुर सिरगिट्टी औद्योगिक क्षेत्र स्थित एसीसी इंडिया प्लांट में भी हर वर्ष की भांति भगवान विश्वकर्मा की स्थापना कर विधि विधान के साथ उनकी पूजा अर्चना की गई । उज्जैन से पधारे पुरोहित ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर उद्योग के सफल संचालन की कामना की।विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर बिलासपुर औद्योगिक क्षेत्र सिरगिट्टी में स्थापित एसीसी इंडिया के संचालक आदित्य कुमार सिंह द्वारा नई परियोजना की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी रेडी मिक्स कांक्रीट, पेवर टाइल्स ब्लॉक आदि बनाती है और भगवान विश्वकर्मा से उन्होंने इस कार्य में तरक्की एवं सफलता की कामना की है ।विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना के बाद भोग भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें कर्मचारियों के साथ आसपास के नागरिकों ने भी पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया।
