बिलासपुर होली का पर्व नजदीक आते ही शहर में तैयारियां जोर पकड़ने लगी हैं। रंग-गुलाल के साथ-साथ इस त्योहार में नगाड़े का भी विशेष महत्व होता है। नगाड़े की धुन पर बजने वाले फाग गीत और लोगों का नृत्य होली के माहौल में चार चांद लगा देता है। नगाड़े की थाप पर झूमते लोग होली का आनंद उठाते हैं, जिससे पूरे माहौल में उल्लास और उमंग छा जाती है। यही कारण है कि होली से पहले बाजार में नगाड़ों की दुकानों की रौनक बढ़ने लगी है। शहर के अरपा नदी के रपटा पुल के पास चौपाटी में नगाड़े की दुकानों की सजावट शुरू हो चुकी है। हर साल की तरह इस बार भी राजनांदगांव के खैरागढ़ और डोंगरगढ़ से व्यापारी यहां नगाड़े बेचने पहुंचे हैं। वे वर्षों से इस क्षेत्र में नगाड़े की दुकानें लगाते आ रहे हैं। व्यापारी मनोज गावकर ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ खैरागढ़ से आए हैं और होली के पर्व के लिए यहां दुकान लगाई है। हालांकि, पहले की तुलना में अब नगाड़ों की मांग कम हो रही है। एक समय था जब बच्चे से लेकर बड़े तक सभी नगाड़े खरीदते थे, लेकिन अब लोगों की रुचि कम होती जा रही है। जहां पहले हर घर में नगाड़ों की धुन सुनाई देती थी, अब वे सिर्फ कुछ खास आयोजनों तक ही सीमित रह गए हैं। व्यापारियों के अनुसार, नगाड़े हाथों से तैयार किए जाते हैं, जो काफी मेहनत और समय लेने वाली प्रक्रिया होती है।

नगाड़े बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भी महंगा हो गया है, जिसके चलते इस साल इनके दामों में 5 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। बाजार में छोटे से लेकर बड़े हर आकार के नगाड़े उपलब्ध हैं। छोटे आकार के नगाड़े 150 रुपये से शुरू हो रहे हैं, जबकि सबसे बड़े नगाड़े की कीमत 3800 रुपये तक है। नगाड़ों के पारंपरिक महत्व को देखते हुए अब भी कुछ लोग इन्हें खरीदने जरूर आ रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे नगाड़ों की गूंज कम होती जा रही है। व्यापारी ने बताया कि नगाड़े की कम होती डिमांड को देखते हुए दुकानों में भी कमी आ गई है नगाड़े की अब महज तीन-चार दुकान ही लग रहे हैं आने वाले समय में इसमें भी कमी आने की संभावना है।