रविवार को पूरे विश्व में पाम संडे का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।यह पर्व 2025 साल पुरानी उस घटना की याद दिलाता है जब प्रभु यीशु मसीह ने जेरूसलेम के मंदिर में विजयी प्रवेश किया।उनके स्वागत में लोग खजूर की डालियाँ लेकर उमड़ पड़े थे और आज भी उसी जोश और श्रद्धा से उनकी याद में यह पर्व मनाया गया।

बिलासपुर के चर्च ऑफ ख्राईष्ट सीएमडी चौक में आयोजित इस पर्व के जुलूस में लोग खजूर की डालियाँ हाथों में लेकर ‘होशन्ना’ के नारे लगाते हुए चर्च के आराधना स्थल तक पहुंचे। यह जुलूस तारबाहर मसीह टेंट हाउस से आरंभ हुआ, जहां चर्च के सदस्यों ने न केवल श्रद्धा से इस आयोजन में भाग लिया, बल्कि मार्ग में लोगों ने पुष्पहार और मिठाइयों से स्वागत भी किया। सभी ने यीशु मसीह के जयकारों के बीच बाइबल के गीत गाए और चर्च भवन में प्रवेश किया। जुलूस में चर्च के पदाधिकारी और पार्षदों का भी योगदान रहा।पास्टर सुदेश पॉल ने अपने प्रवचन में यीशु मसीह के जीवन के अद्वितीय संदेश को साझा किया। उन्होंने बताया कि यीशु मसीह, जो गधे के बच्चे पर सवार होकर जेरूसलेम जा रहे थे, नम्रता, दीनता और मानवता का प्रतीक थे। उनका यह मार्गदर्शन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो हमें पापों से मुक्ति और अधिकायत के जीवन की ओर प्रेरित करता है।पास्टर सुदेश पॉल ने कहा कि यीशु मसीह का यह प्रवेश शाही नहीं था, बल्कि वह इस दुनिया में नम्रता, दीनता और पापों का बोझ उठाने के लिए आए थे। उनका उद्देश्य जीवन देना था न कि दूसरों को नष्ट करना।

मसीहियों के लिए यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि उनके विश्वास और समर्पण का पर्व है। प्रभु यीशु का जेरूसलेम में स्वागत करते हुए उन्होंने धर्म, प्रेम और शांति का संदेश दिया। इस अवसर पर चर्च के सदस्यों ने मिलकर मसीही गीत गाए, जिनमें शोभा वालेस, रेणुका अब्राहम, जेनिफर पॉल, निवेदिता पॉल और अन्य कलाकारों ने अपने संगीत से कार्यक्रम को और भी भव्य बना दिया।यह आयोजन ना सिर्फ एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक सामूहिक प्रयास था, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की। चर्च के कई सदस्य जैसे विल्सन जॉन मसीह, प्रवीण जैसल, और अन्य ने मिलकर आयोजन की पूरी व्यवस्था की। उनका योगदान हर एक व्यक्ति के दिल में यह संदेश छोड़ गया कि धर्म और सेवा का मार्ग एकता और प्यार से भरा हुआ है।

खजूर के रविवार का यह पर्व ना सिर्फ यीशु मसीह के आशीर्वाद का प्रतीक है, बल्कि यह उनकी सिखाई हुई मानवीयता, नफरत से परे प्रेम और एकता की याद दिलाता है। मसीही समुदाय इस दिन को अपने विश्वास की दृढ़ता और प्रभु के प्रति श्रद्धा के रूप में मनाता है, और हर साल इसे बड़े धूमधाम से मनाकर अपने जीवन में यीशु के उपदेशों को जीवन में उतारने का संकल्प लेता है।इस पर्व की धूम और प्रभु यीशु के जेरूसलेम में प्रवेश की महिमा का अनुभव सभी मसीहियों के दिलों में गूंजता रहेगा, और यह आयोजन हर साल उनके विश्वास और भक्ति को और मजबूत करेगा।