26.7 C
Bilāspur
Tuesday, June 24, 2025
spot_img

बस्तर में फिर गूंजा ‘पत्थलगढ़ी’ का स्वर, ग्रामसभा की मुहर के बिना नहीं होगा कोई फैसला

दरभा, तोकापाल और बास्तनार जैसे इलाकों में ग्रामसभा के अधिकार अब पत्थरों पर खुदकर सामने आ रहे हैं। ये वही पत्थलगढ़ी है, जिसकी शुरुआत कुछ साल पहले झारखंड और सरगुजा में हुई थी। गांवों की सीमा पर गाड़े गए पत्थरों में साफ लिखा गया है ग्रामसभा ही सर्वोच्च है। बिना उसकी मंजूरी, कोई योजना या दखल स्वीकार नहीं।इन ग्रामीणों का कहना है कि वो अब पेसा कानून के तहत अपने अधिकारों को लागू कर रहे हैं। संविधान की पांचवीं अनुसूची में मिले विशेष अधिकारों के तहत, ग्रामसभा को सबसे महत्वपूर्ण संस्था माना गया है। ग्रामवासी कह रहे हैं कि अब सरकार या कोई निजी संस्था उनकी भूमि, जंगल या खनिज में कोई दखल नहीं दे सकती, जब तक ग्रामसभा अनुमति न दे।ये एक स्पष्ट और सख्त चेतावनी है कि आदिवासी अब अपने हक़ के लिए जाग चुके हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में पत्थलगढ़ी हुई हो। 2018 में जशपुर के एक गांव में इसी तरह की पहल के दौरान पुलिस को बंधक बना लिया गया था। उस घटना ने सरकार की नींद उड़ा दी थी।

अब वही माहौल बस्तर में फिर से बनता नजर आ रहा है। और इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्म है। फिलहाल, बस्तर के गांवों में खड़े ये पत्थर सिर्फ चेतावनी नहीं हैं… ये उस अधिकार की लड़ाई की घोषणा हैं, जो अब रुकने वाली नहीं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

132,000FansLike
3,912FollowersFollow
21,600SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles