
ईस्टर का त्योहार ईसाई धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं, क्योंकि इस दिन कहा जाता है कि प्रभु यीशु का पुनर्जन्म हुआ था. दरअसल, ईस्टर का संडे का इतिहास ईसाई धर्म की नींव से जुड़ा हुआ है. इस त्योहार को न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि ईसाई धर्म के सबसे पुराने और सबसे पवित्र त्योहार में से एक माना गया है. ईसा मसीह को यहूदी धर्म गुरुओं ने दोषी ठहराया था, क्योंकि वह खुद को ईश्वर का पुत्र बताते थे. उन्हें रोमन गवर्नर पॉन्टियस पिलातुस के सामने पेश किया गया और गुड फ्राइडे के दिन उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया. सूली पर चढ़ने के बाद ईसा मसीह की मौत हो गई और उन्हें कब्र में दफनाया गया. बाइबल के अनुसार, तीसरे दिन यानी कि रविवार को ईसा मसीह का फिर से जन्म हुआ इसी चमत्कारिक घटना को ईस्टर संडे कहा जाता है.ईस्टर संडे ईसाई धर्म के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में इकट्ठा होते हैं, प्रेयर करते हैं, इस दिन चर्च को लाइट और फूलों से सजाया जाता है. ईस्टर प्रेयर के बाद लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं, प्रभु यीशु के उपदेशों को याद करते हैं. साथ ही इस दिन मोमबत्ती से अपने घरों को सजाते हैं और प्रभु यीशु के पुनः जीवित होने की खुशियां मनाते हैं. लिहाजा ईस्टर संडे के अवसर पर रविवार को सभी गिरजाघर में सुबह से विशेष आराधना हुई लोगों ने एक दूसरे को ईस्टर की बधाई देते हुए प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की खुशियां साझा की इस मौके पर चर्च पर रक्तदान शिविर का भी आयोजन हुआ

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, ईस्टर 2000 साल से ज्यादा पुराना त्योहार है. पहले ईस्टर को बहुत ही साधारण तरीके से मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अंडों की सजावट, ईस्टर बनीज और कई सारे आयोजन करने की परंपरा शुरू हुई. दरअसल, अंडा जीवन और पुनः जीवन का प्रतीक माना जाता है, इसलिए ईस्टर पर अंडों को रंग-बिरंगे कलर से सजाया जाता है. यह त्योहार न केवल ईसाई धर्म का सबसे पवित्र त्योहार है, बल्कि यह त्योहार संदेश देता है कि अंधकार के बाद प्रकाश आता है, मृत्यु के बाद जीवन है. यह दिन प्रेम बलिदान और पुनः जीवन का त्योहार है, जो हमें आशा और विश्वास सिखाता है.