
मानसून के आगमन से पहले ही रेलवे ने ट्रैक सुरक्षा को लेकर कमर कस ली है। संवेदनशील इलाकों में गश्त और निगरानी को तेज़ कर दिया गया है। इंजीनियरिंग समेत रेलवे के तमाम विभाग इस वक्त फील्ड में सक्रिय हैं, ताकि किसी भी संभावित खतरे को समय रहते टाला जा सके। हर साल की तरह इस बार भी रेलवे ने बारिश से पहले ट्रैक की जाँच और निगरानी के लिए मानसून पेट्रोलिंग शुरू कर दी है। ये गश्त उन स्थानों पर हो रही है जहाँ पटरियाँ नदी-नालों या ढलानों से होकर गुजरती हैं और बारिश के समय खतरा ज़्यादा रहता है। ऐसे इलाकों में जलभराव, मिट्टी धंसने या ट्रैक बहने जैसी स्थितियाँ बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं।रेलवे ने मैदानी अमले को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे अलर्ट रहें। फिक्स्ड लोकेशन पर स्टाफ और मोबाइल पेट्रोलिंग टीम लगातार ट्रैक पर निगरानी रख रही है।

पहाड़ी व जोखिम वाले क्षेत्रों में लोहे की जालियां लगाई गई हैं ताकि बारिश के दौरान मलबा या पत्थर ट्रैक तक न पहुंचे।ट्रैक सुरक्षा के साथ-साथ ओएचई, विद्युत, संकेत और दूरसंचार विभाग भी तैयारियों में जुटे हुए हैं। ओएचई विभाग ने तारों के आसपास के पेड़ों की छंटाई पहले ही कर दी है और अब लगातार निगरानी की जा रही है। मानसून में कोई तकनीकी बाधा न आए, इसके लिए हर विभाग फील्ड में मुस्तैद है। रेलवे ने रायगढ़-झारसुगुड़ा, रायगढ़-कोरतलिया, ईब-झारसुगुड़ा, बिलासपुर-अनूपपुर और अनूपपुर-अंबिकापुर रूट को संवेदनशील घोषित किया है। SECR ज़ोन के तीनों डिवीजनों में ऐसे 92 स्थान चिह्नित किए गए हैं जहाँ विशेष चौकसी बरती जा रही है।रेलवे की ये पहल ट्रेनों की सुरक्षित और निर्बाध आवाजाही के लिए बेहद अहम है। हालांकि, मानसून की असली परीक्षा तो अब शुरू होगी। देखना होगा कि ये तैयारियाँ आने वाली चुनौतियों को किस हद तक रोक पाती हैं।