
बिलासपुर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था अब आम लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। रोजाना सैकड़ों लोगों पर हाईटेक कैमरों के जरिये ट्रैफिक चालान तो किए जा रहे हैं, लेकिन उसे जमा करने की व्यवस्था इतनी उलझन भरी है कि बाइक सवार घंटों परेशान हो रहे हैं। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगे ऑटोमेटिक कैमरों से तीन सवारी, सिग्नल जम्प और रॉन्ग साइड जैसे मामलों में लगातार चालान काटे जा रहे हैं। पहले ये चालान यातायात थाने में जमा हो जाया करते थे, लेकिन अब ट्रैफिक विभाग ने नियम बदल दिया है।अब ना तो थाने में चालान जमा हो रहा है, ना ही कोई सहायता दी जा रही है। बाइक सवारों को साफ कह दिया गया है कि चालान ऑनलाइन ही जमा करना होगा। लेकिन सवाल ये है कि जिन लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं है, या जिनका मोबाइल RC से लिंक नहीं है, वो क्या करें।ऐसे लोगों के लिए ट्रैफिक विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है।

चालान कॉपी पर सात दिन में भुगतान का डर दिखाया जाता है, जिससे लोग घबराकर या तो ट्रैफिक थाने के बाहर खड़े अवैध चॉइस सेंटरों का रुख कर रहे हैं, या दलालों के जरिये 500 से 5000 रुपये तक चुकाने को मजबूर हो रहे हैं।बिलासपुर ही नहीं, बल्कि आस-पास के जिलों से आने वाले वाहन चालकों को भी चालान नोटिस तो मिलता है, लेकिन उसमें यह नहीं बताया जाता कि ऑनलाइन चालान कैसे और कहां जमा करना है। उल्टा कोर्ट भेजने की धमकी देकर जनता को दबाया जा रहा है।इस तुगलकी व्यवस्था का नतीजा ये है कि अब ट्रैफिक थाने के बाहर हर दिन लंबी लाइनें और अफरातफरी का माहौल दिखता है। कोई जानकारी के लिए भटक रहा है, तो कोई जुर्माने के नाम पर ठगा जा रहा है। दुख की बात ये है कि ट्रैफिक विभाग इस अव्यवस्था को देखकर भी आंख मूंदे हुए है। ना कोई हेल्प डेस्क, ना ही जागरूकता अभियान। अधिकारी समाधान निकालने की बजाय जनता की परेशानी को नजरअंदाज कर रहे हैं।अब सवाल ये है कि क्या ट्रैफिक विभाग जनता को डिजिटल चालान के नाम पर बेवजह परेशान कर रहा है, क्या व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ लोगों की है,वक्त है कि अधिकारी भी मैदान में उतरें और आम जनता की इस असल तकलीफ का हल निकालें।